Parenting Tips: एक चार साल के बच्चे को वैक्सीन लगाने के लिए डॉक्टर समेत उसके परिवार के पांच लोगों ने पकड़ा तब उसे वैक्सीन लगाई गई. वैक्सीन लगने के बाद बच्चा रोया और अपने पापा को लात-घूंसे से मारा. देखने में ये सब बच्चे की नादानी लगती है, लेकिन ये हरकतें बड़े होने पर बच्चे के गुस्से को बढ़ा सकती हैं और बच्चा आगे जाकर दूसरों के लिए अपने मुसीबत बन सकता है. बच्चों की सेहत नाम के यूट्यूब चैनल पर एक डॉक्टर ने बच्चों से जुड़ी ये समस्या सोशल मीडिया पर शेयर की.
हम सभी अपने घरों में छोटे बच्चों को पेरेंट्स को मारते हुए देखते होंगे तब तो हम उन बातों को मजाक में निकाल देते हैं लेकिन आगे जाकर ये बातें दिक्कत बन जाती हैं. बच्चा बीमार पड़ता है तो पेरेंट्स को नाकों चने चबवा देता है. वो दवाई नहीं खाता. यही नहीं अगर बच्चे की गलती है और वो रोने लग गया है तब पेरेंट्स उससे माफी मांग रहे होते हैं. ऐसे में पेरेंट्स को लगता है कि वे सॉफ्ट पेरेंटिंग कर रहे हैं लेकिन तब तक बच्चा ओवर पैंपरिंग का शिकार हो चुका होता है.
पेरेंट्स कैसे बचें ओवर पैंपरिंग से?
बच्चों को प्यार और देखभाल देना हर माता-पिता का कर्तव्य है, लेकिन जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार (ओवर पैंपरिंग) उन्हें जिद्दी और अनुशासनहीन बना सकता है. बच्चों की हर समय हर इच्छा पूरी करना या उनकी गलतियों को अनदेखा करना, उनके विकास पर नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है. गुरुग्राम में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा मलिक ने यहां कुछ प्रभावी टिप्स बताए हैं, जिन्हें अपनाकर पेरेंट्स ओवर पैंपरिंग से बच सकते हैं.
प्यार और अनुशासन में संतुलन
बच्चे को प्यार देना जरूरी है, लेकिन उसके साथ अनुशासन सिखाना भी उतना ही जरूरी है. यदि बच्चा जिद कर रहा हो, तो उसके साथ नरमी से बात करें, लेकिन हर बार उसकी जिद को पूरा न करें.
बच्चों को सीमाएं सिखाएं
बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि हर चीज तुरंत नहीं मिल सकती. उन्हें यह सिखाएं कि जीवन में धैर्य और मेहनत का महत्व है. इसके लिए घर में कुछ नियम तय करें और बच्चे को उनका पालन करने की आदत डालें.
जरूरत से ज्यादा समझौते न करें
बच्चों को हमेशा उनकी इच्छा के अनुसार चीजें देना उन्हें बिगाड़ सकता है. हर बात पर 'हां' कहने के बजाय, सोच-समझकर फैसला लें. बच्चों को 'ना' सुनने की आदत भी होनी चाहिए.
सकारात्मक व्यवहार को दें बढ़ावा
बच्चे को सही चीजों के लिए प्रोत्साहित करें. जब वह अच्छा व्यवहार करे, तो उसकी तारीफ करें. इससे वह अपने व्यवहार को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित होगा.
बच्चों के साथ संवाद करें
अगर बच्चा किसी बात पर गुस्सा करता है या जिद करता है, तो उसके साथ संवाद करें. उसकी भावनाओं को समझें और उसे सही-गलत का फर्क बताएं. यह विश्वास बनाएगा कि आप उसके साथ हैं.
हर बार डर का सहारा न लें
बच्चों को अनुशासित करने के लिए हर बार डराने या गुस्सा करने से बचें. इससे उनका आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है. इसके बजाय, उन्हें उनकी गलतियों के परिणामों को समझाएं.
रोल मॉडल बनें
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं. इसलिए, खुद भी अनुशासित रहें और अपने व्यवहार से बच्चों को प्रेरित करें.
डॉक्टर या अन्य परिस्थितियों के लिए पहले से तैयार करें
जैसे दवाई खिलाने जैसी परिस्थितियों में, बच्चे को पहले से समझाएं कि यह उसकी भलाई के लिए है. यदि बच्चे को किसी मेडिकल प्रक्रिया से डर लगता है, तो उसे इस बारे में पहले ही आसान शब्दों में बताएं.
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ओवर पैंपरिंग से बचना और अनुशासन सिखाना, बच्चे के भविष्य को संवारने के लिए जरूरी है. प्यार और अनुशासन के सही संतुलन से बच्चे में आत्मनिर्भरता, जिम्मेदारी और सकारात्मक व्यवहार विकसित होता है. माता-पिता का धैर्य और समझदारी बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का आधार बन सकती है.
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