डीएनए हिंदी: थायरॉइड की समस्या सबसे ज्यादा महिलाओं में होती है. गर्दन में तितली के आकार की एक ग्रंथि में यही टी 3 और टी 4 हॉर्मोन बनाकर स्नाव करती है. इसे ही थायरॉइड कहते हैं. यह ग्रंथि दोनों हॉर्मोन शरीर के महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करती हैं. इनके असंतुलन होने पर अलग अलग तरह की समस्याएं हैं, जो फर्टिलिटी से लेकर वजन और दिल से जुड़ी हो सकती हैं.
ज्यादातर महिलाओं को नहीं मालूम होते थायरॉइड के लक्षण
हाल ही में सामने आई नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के जर्नल के अनुसार, दुनिया में हर 8 में से एक महिला थायरॉइड की बीमारी से पीड़ित है. इसके बावजूद 60 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाओं को इस बीमारी के लक्षणों की जानकारी नहीं है. वह पुरुषों के मुकाबले थायरॉइड की बीमारी को लेकर ज्यादा संवेदनशील होती हैं. खासकर प्रेगनेंसी और मेनोपॉज की ठीक बाद उन्हें इसका खतरा रहता है. वहीं महिलाएं थायरॉइड से होने वाली समस्याओं को दूसरी बीमारियों से जुड़ा समझकर भी नहीं इसे अनदेखा कर देती हैं.
ये हैं थॉयराइट के 12 लक्षण
-हाई ब्लड प्रेशर
-अचानक वजन तेजी से बढ़ना या फिर कम होना
-पीरियड्स साइकिल बिगड़ना
-पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
-ज्यादातर समय पर सुस्ती व थकान
-ड्राई स्किन और बालों झड़ना
-कब्ज की शिकायत रहना
-चिड़चिड़ापन और हताशा
-बहुत ज्यादा पसीना आना
-स्कैल्प में गड़बड़ी
-उभरी हुई आंखें
-इनफर्टिलिटी
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को इसलिए ज्यादा होता है थायरॉइड
एक्सपर्ट्स की मानें संदेह है कि थायरॉइड रोग का विकास ऑटोइम्युनिटी से जुड़ा हुआ होता है. यह आमतौर पर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में बहुत ज्यादा होता है. महिलाओं में थायरॉइड हॉर्मोन और पीरियड्स साइकिल, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के दौरान अक्सर होने वाला असंतुलन भी एक प्रमुख कारण है.
इन महिलाओं को होता है थायरॉइड का ज्यादा खतरा
डॉक्टर की मानें तो किसी भी उम्र की महिला को थायरॉइड हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में डिलीवरी के बाद या फिर 60 साल की उम्र के बाद वाली महिलाओं में इसका सबसे ज्यादा खतरा रहता है. वहीं, खराब लाइफस्टाइल, खानपान और ऑटोइम्यून डिजीज की वजह से भी इसका खतरा बढ़ जाता है.
लाइफस्टाइल में ये बदलाव कर सही रख सकती हैं हॉर्मोन
एक्सपर्ट्स के अनुसार, महिलाओं को शरीर में थायरॉइड के दिखाने वाले छोटे से छोटे संकेत पर ही अलर्ट होने की जरूरत है. इसका वर तुरंत ही डॉक्टरी परामर्श लेने के साथ ही नियमित एक्सरसाइज, पूरी तरह से नींद लेनी चाहिए. इसके साथ ही आयोडीन का सेवन बढ़ा देना चाहिए. तंबाकू जैसे हानिकारक पदार्थों का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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