क्या नृत्य के जरिये भी चित्र बनाया जा सकता है? क्या दो विधाओं में इस तरह संवाद बनाया जा सकता? रजा फाउंडेशन ने कल शाम रजा जन्मशती के मौके पर एक अद्भुत कलात्मक प्रयोग किया. यह नवाचार देखकर दर्शक खुद अपने भीतर एक आंतरिक लय में डूब गए.
उसकी आंखों में एक कैनवास था
पांव थे कुचियां के मानिंद
होठों पर थे कुछ वाटर कलर
लय मेंथीं रेखाएं
मुद्राओं में भाव
नर्तकी एक चित्र बना रही थी
मंच पर अपने नृत्य से
कर रही थी वह एक संवाद
पूरे ब्रह्मांड से
दूर अंतरिक्ष में जाती हुई.
यह तीसरा अवसर था जब रजा साहब के चित्रों पर इस तरह नृत्य का कार्यक्रम हो रहा था. आज से 28 साल पहले फ्रांस में रजा के चित्रों पर जयपुर घराने की नृत्यांगना प्रेरणा श्रीमाली ने नृत्य का कार्यक्रम किया था. कला की दुनिया में यह पहला प्रयोग था. कविताओं पर नृत्य के कार्यक्रम होते रहते हैं, बिस्मिल्लाह खान की शहनाई रविशंकर के सितारवादन पर तथा कुमार गन्धर्व मल्लिकार्जुन मंसूर भीमसेन जोशी की गायकी पर कविगण कविताएं लिखते रहे हैं. निराला दिनकर बच्चन रघुवीर सहाय अशोक वाजपेयी आदि की कविताओं पर नृत्य भी होते रहे हैं लेकिन चित्रों पर नृत्य के कार्यक्रम दुर्लभ ही हैं.
प्रसिद्ध कवि एवम संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी के प्रयासों से यह नवाचार संभव हुआ. वे हमेशा कला की दुनिया में नवोन्मेष पर जोर देते रहे हैं और कला की विधाओं के बीच आपसी संवाद पर बल देते रहे हैं पर दुर्भाग्य से यह आपसी संवाद बहुत कम और विरल है. संगीत नाटक अकेडमी के बिस्मिल्लाह खान पुरस्कार से सम्मानित युवा नृत्यांगना अन्वेषा महन्त ने कल बहुत ही ताजगी के साथ रजा साहब के चित्रों पर नृत्य किया.
अशोक वाजपेयी ने बताया कि रज़ा साहब की जन्मशती पर यह अभिनव कार्यक्रम इस लिए भी हो रहा है कि रज़ा साहब को नृत्य में भी रुचि थी. उनकी चित्रों में भी एक लय है.यह प्रस्तुति रजा साहब के चित्रों की नृत्य में अनुकृति नहीं है बल्कि एक संवाद है.नृत्य का चित्रकला से संवाद.
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भरत नाट्यम की नृत्यांगना रमा वैद्यनाथन ने भी सुंदर प्रस्तुति की.उन्होंने रजा साहब के चित्रों को मंच पर प्रस्तुत कर अपना नृत्य पेश किया.यह बिल्कुल नया प्रयोग था. कला की दुनिया में शायद ही किसी नर्तकी ने ऐसा प्रयोग किया हो.इस तरह कल की शीत लहरी से भरी शाम में नृत्य के भाव और मुद्राओं ने एक तरह की ऊष्मा भर दी.
92 वर्षीय राजनेता डॉक्टर कर्ण सिंह 87 वर्षीय आलोचक मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और 82 वर्षीय अशोक वाजपेयी इस ठंड में इस नृत्य से खुद एक संवाद कायम कर रहे थे. प्रसिद्ध कवि लीलाधर मंडलोई वाजदा खान अणुशक्ति सिंह भी नज़र आईं.सभागार के अंधेरे में और चेहरे दिखे नहीं.पर कल की शाम एक अनोखी शाम थी.आज प्रेरणा श्रीमाली भी इन चित्रों पर नृत्य करेंगीं.
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सैयद हैदर रज़ा के चित्रों पर नृत्य का संसार