डीएनए हिंदी: दिल्ली के एम्स अस्पताल (Delhi AIIMS) ने अपने यहां दिसंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच हुए ऑपरेशन का आकलन करके एक रिपोर्ट तैयार की है.
रिपोर्ट के मुताबिक, स्टडी की अवधि के दौरान ऐसी 53 सर्जरी हुई जिन्हें कोविड हो चुका था. इनमें से 32 मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दिया गया. इन 32 केसेस में से 26 केस सिजेरियन सेक्शन के थे.
जानकारी के अनुसार, सभी केस में सर्जरी कामयाब रही और ऑपरेशन के बाद कोई समस्या नहीं आई. वहीं 21 मरीज ऐसे थे जिन्हें जनरल एनेस्थीसिया दिया गया यानी उनका ऑपरेशन पूरी बेहोशी के दौरान किया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि इन 21 मरीजों में से 4 मरीजों की मौत हो गई. यह सभी बेहद गंभीर मरीज थे और इनकी मौत का कारण कोरोना वायरस (Coronavirus) नहीं था.
ये भी पढ़ें- World Cancer Day: क्या होता है कैंसर? बीमारी से लड़ने के लिए ब्रिटेन में डेवलप हो रहा है अनोखा मेडिकल टेस्ट
नहीं है सर्जरी को टालने की जरूरत
वहीं अब इस स्टडी के आधार पर सरकार ने सलाह दी है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद किसी भी जरूरी सर्जरी को टालने की जरूरत नहीं है. पहले हुई स्टडी के आधार पर माना जाता था कि कोरोना इन्फेक्शन से रिकवर होने के बाद 8 हफ्ते तक सर्जरी नहीं करानी चाहिए. कई अस्पताल भी इसी नियम के आधार पर मरीजों की सर्जरी कर रहे थे. हालांकि अब एम्स की नई स्टडी बता रही है कि कोरोना से रिकवर होने के बाद सर्जरी कराई जा सकती है और उससे कोई खतरा नहीं है.
क्या कहती है ICMR की स्टडी?
इसके अलावा Indian council for medical research (ICMR) ने देश के 37 अस्पतालों के डाटा का भी अध्ययन किया है. यह अध्ययन दो टाइम में किया गया. पहले चरण में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) ज्यादा फैला हुआ था और दूसरे चरण यानी जनवरी में ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron) का ज्यादा खतरा था. इस बीच दूसरे चरण में शिकार होने वाले ज्यादातर लोग 40-45 वर्ष के थे, वहीं औसत उम्र 44 साल के बीच थी. इनमें से तकरीबन आधे लोग यानी 46% को कोई ना कोई दूसरी बीमारी यानी कोमोरबिडिटी थी.
ये भी पढ़ें- World Cancer Day: कैंसर से ठीक होने के बाद ऐसे करें एक्सरसाइज, जल्द सुधरेगी सेहत
वैक्सीन लगवाने वालों को कम खतरा
स्टडी के मुताबिक, पहले चरण में शिकार होने वाले लोगों की औसत उम्र 55 वर्ष थी और उनमें भी आधे से ज्यादा यानी 66% लोगों को कोई ना कोई बीमारी थी. हालांकि दूसरे चरण में कोरोना के इलाज की बेहतर जानकारी होने की वजह से कम दवाओं के इस्तेमाल से मरीज ठीक हो गए.
दोनों ही चरणों में कुल मिलाकर यह पाया गया कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी हुई थी उनमें 10% मौतें हुई. जबकि जिन लोगों में वैक्सीन नहीं लगी थी उनमें से 22% की मौत हो गई. आईसीएमआर के मुताबिक, इस स्टडी से एक बार फिर वैक्सीन की अहमियत समझ में आती है. हालांकि स्टडी में परेशान करने वाली एक बात यह भी सामने आई कि भारत के युवा आबादी के आधे से ज्यादा लोगों को कोई ना कोई बीमारी लग चुकी है यानी उन्हें कोई ना कोई कोमोरबिडिटी है.
- Log in to post comments
Covid से ठीक होने के बाद नहीं है ऑपरेशन टालने की जरूरत: स्वास्थ्य मंत्रालय