डीएनए हिंदी: डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल, जॉइंट पेन, हार्ट अटैक...ये बीमारियां पहले तो एक उम्र के बाद ही लोगों को परेशान किया करती थीं लेकिन अब बच्चे भी इनका शिकार होने लगे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है बढ़ता वजन और खराब डाइट. Diabetologist Dr. Ashok Jhingan बताते हैं कि जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं वह आसानी से डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं. उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है और उनमें हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है.
उन्होंने कहा, सबसे बड़ा चैलेंज यह है कि टीनएजर्स में मोटापे की समस्या बहुत बढ़ रही है. जब बच्चे टीएनज में डाइट कंट्रोल या एक्सरसाइज से वजन नहीं घटा पाते तो एडल्ट होने पर आसानी से डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियां लग जाती हैं.
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बच्चों में कैसे पहचाने डायबिटीज के लक्षण
डॉक्टर झिंगन ने बताया, जब मोटापा होता है तो शरीर के अंदर फैटी एसिड बढ़ने लगता है. इसकी वजह से इंसुलिन के काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है. मतलब यह कि इंसुलिन बनता तो है लेकिन उतना काम नहीं करता. इसे इंसुलिन रजिस्टेंस कहा जाता है.
बच्चों में आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं. दरअसल ज्यादा वजन वाले बच्चों की गर्दन के ऊपर एक काला निशान बन जाता है. कुछ लोगों को पिगमेंटेशन हो जाता है. इसे देखकर बताया जा सकता है शरीर में इंसुलिन बन रहा है लेकिन काम नहीं कर रहा है.
सर्जरी की मिलती है सलाह
कई बार डॉक्टर्स वजन कंट्रोल करने और डायबिटीज पर काबू पाने के लिए सर्जरी की सलाह देते हैं लेकिन एक महंगी सर्जरी और उससे जुड़ी तकलीफ सहने से बेहतर है कि आप डाइट कंट्रोल करें.
जब हमने डॉक्टर झिंगन से सर्जरी के बारे में सवाल किया तो उन्होंने बैरिएट्रिक सर्जरी के बारे में बाताया. इस सर्जरी में पेट का साइज छोटा कर दिया जाता है. मतलब यह कि समझिए एक साइज फिक्स कर दिया जाता है जिससे कि आप एक तय मात्रा में ही खा सकेंगे. उससे ज्यादा खाएंगे तो आपको उल्टी हो जाएगी.
इस पर डॉक्टर साहब का कहना था कि ऐसे आर्टिफीशियल तरीकों से वजन कंट्रोल करने से बेहतर है कि आप एक्सरसाइज करें और नैचुरल तरीके से अपने शरीर की सुरक्षा करें.
बच्चों में वजन बढ़ने के लिए पैरेंट्स जिम्मेदार
डॉक्टर झिंगन के मुताबिक बच्चों में बढ़ते वजन के जिम्मेदार कुछ हदतक उनके पैरेंट्स भी होते हैं. ऐसा खासतौर पर उन वर्किंग पैरेंट्स के साथ हो रहा है जो बच्चों की डाइट पर खुद नजर नहीं रखते. समय की कमी के चलते वे बच्चों को फास्ट फूड या प्रोसेस्ड फूड के सहारे छोड़ देते हैं. अगर आप वर्किंग हैं तो एक शेड्यूल बनाइए और उसके हिसाब से बच्चे की डाइट और एक्टिविटी प्लान करिए.
फिजिकल एक्टिविटी न होना भी बच्चों में एक बड़ी समस्या है. अगर आप भी एक बढ़ते बच्चे के पैरेंट हैं तो सतर्क रहिए उसकी फिजिकल एक्टिविटी प्लान करिए और डाइट चार्ट बनाकर इस बात का खयाल रखिए कि वह क्या खाता है और क्या नहीं.
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