डीएनए हिंदी: स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन से देश शोक में डूब गया है. बॉलीवुड, राजनीति, उद्योग से लेकर स्पोर्ट्स जगत तक देश उनके जाने से दुखी है. लता दीदी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के लिए कुछ ऐसा किया था जिसे आज भी बोर्ड भूल नहीं पाया है. जब कपिल देव (Kapil Dev) की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने जब लाडर्स की बालकनी पर विश्वकप हासिल किया था तब बोर्ड मुफलिसी से जूझ रहा था.
आज की तरह BCCI दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड नहीं था. न बोर्ड के पास इतने पैसे थे न ही ऐसा जलवा कि खिलाड़ियों पर पैसों की बारिश हो. तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और इंदिरा गांधी सरकार के दिग्गज मंत्री मंत्री एनकेपी साल्वे परेशान हो गए कि जीत का जश्न मनाने के लिए रकम कहां से आए.
परेशान एनकेपी साल्वे ने इस मुश्किल का हल निकालने के लिए राजसिंह डुंगरपूर से गुहार लगाई. तब उन्होंने स्वर कोकिला लता मंगेशकर से संपर्क किया. राजसिंह ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर वह एक कन्सर्ट कर दें. लता दीदी क्रिकेट की दीवानी थीं. उन्होंने तपाक से हां कर दिया. प्रोग्राम लता मंगेशकर का हो भीड़ न हो ऐसा तो होने से रहा.
जब O.P.Nayyar ने खाई थी लता मंगेशकर के साथ काम ना करने की कसम
...हर खिलाड़ी को लता की वजह से मिले 1-1 लाख
खचाखच भरे स्टेडियम में लता मंगेशकर ने दो घंटे का कार्यक्रम किया. बीसीसीआई ने उस कन्सर्ट से खूब पैसे जुटाए और हर खिलाड़ियों को एक-एक लाख रुपये दिए. सुनील वाल्सन बताते हैं कि यह उस समय यह बड़ी रकम थी वरना हमें दौरे से मिलने वाला पैसा और दैनिक भत्ता बचाकर पैसा जुटाना होता जो 60000 रुपये होता.
सुनील वाल्सन ने कहा कि तब कुछ लोगों ने हमसे 5,000 या 10,000 रुपये देने का वादा किया था. यह बेहद अपमानजनक था. लता जी ने ऐसे समय में यादगार कन्सर्ट किया. बीसीसीआई उनके इस योगदान को नहीं भूला. लता दीदी को सम्मान के तौर पर भारत के हर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच के 2 वीआईपी हमेशा देता रहा.
मुंबई के एक सीनियर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट मकरंद वैंगणकर बताते हैं कि लता मंगेशकर और उनके भाई ह्र्दयनाथ मंगेशकर ब्रेबोर्न स्टेडियम पर हमेशा टेस्ट मैच देखने आते थे. चाहे वह कितनी भी व्यस्त हों, सत्तर के दशक में लता दीदी हर मैच देखने आती थीं.
लता दीदी के जाने तक अमीर हो चुकी है BCCI
आज बीसीसीआई के पास पांच अरब डॉलर का टीवी ब्रॉडकास्ट कॉन्ट्रैक्ट है. तब खिलाड़ियों को बमुश्किल 20 पाउंड दैनिक भत्ता मिलता था. लता दीदी का योगदान बोर्ड के खिलाड़ी कभी नहीं भूले. लता मंगेशकर ने 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से दुनियाभर में उनके प्रशंसक दुखी हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. लता मंगेशकर ब्रीच कैंडी अस्पताल में बीते 28 दिनों से भर्ती थीं. उनके निधन पर देश में भी 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित है.
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