डीएनए हिंदी: इन्सुलिन आज डायबिटीज के इलाज के लिए आम दवा बन चुका है लेकिन एक समय था जब इसका कुछ अता-पता नहीं था. जिसे भी डायबिटीज होता उसकी जिंदगी पर खतरा मंडराने लगता था. टाइप-1 डायबिटीज जानलेवा बीमारी बनता जा रहा था. एक ऐसी बीमारी जिसका इलाज मुश्किल हो रहा था. ऐसे में साइंटिस्ट्स का एक एक्सपेरिमेंट क्रांति बनकर उभरा.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक साल 1919 में इस पर काम शुरू हुआ और करीब दो साल तक काम करने के बाद 1922 में इन्सुलिन का आविष्कार हुआ. दुनिया का पहला इन्सुलिन इंजेक्शन 14 साल Leonard Thompson को दिया गया. इस पहले इंजेक्शन में कुछ impurity थी. इस वजह से लियोनार्ड को एलर्जी हो गई लेकिन यह एक्सपेरिमेंट यहां रुका नहीं. तुरंत एक रिफाइन्ड प्रोसेस खोजी गई और करीब 12 दिन की मेहनत के बाद 23 जनवरी को लियोनार्ड को दोबारा इंजेक्शन दिया गया.
इस इंजेक्शन के बाद लियोनार्डे की सेहत में सुधार दिखा. इसके बाद भी साइंटिस्ट इस पर लगातार काम करते रहे और साल 1923 से पहले University of Toronto दवा कंपनियों को इन्सुलिन बनाने का लाइसेंस दे चुकी थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन्सुलिन लेना किसी भी डायबिटिक पेशेंट के लिए गलत नहीं है. क्योंकि यह आपके शरीर के कमी को पूरा करता है. इसके कोई साइड इफेक्ट नहीं है. अगर इसे लेकर आपको कोई भी शक हो तो अपने डॉक्टर से बात करें. कहा जाता है कि इन्सुलिन लेने से हड्डियों में गैप आता है लेकिन इस बात को भी डायबिटोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक झिंगन झूठ बताते हैं. उनका कहना है कि इन्सुलिन से ऐसी कोई समस्या नहीं आती. यह केवल आपके शुगर लेवल को मेंटेन करने के काम आता है.
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100 साल पहले आज के दिन: 14 साल के डायबिटीज के मरीज को दिया गया था Insulin