वसीम जाफर भारतीय क्रिकेट के उन सितारों में हैं जिनका अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा चमकदार नहीं रहा लेकिन घरेलू क्रिकेट में उन्होंन खूब नाम कमाया है. 16 फरवरी को इस सलामी बल्लेबाज का जन्मदिन होता है. जाफर की सॉलिड तकनीक और रन बनाने की क्षमता देखकर उन्हें कई क्रिकेट विश्लेषक दूसरा सचिन तेंदुलकर भी कहते थे. क्रिकेट के बाद उन्होंने कोचिंग में भी हाथ आजमाया लेकिन वहां भी उनका करियर विवादित रहा है. जन्मदिन पर जानें उनके करियर के उतार-चढ़ाव भरे सफर की कहानी.
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वसीम क्रिकेट का घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन रहा है. घरेलू क्रिकेट में उनकी ताबड़तोड़ पारियों को देखकर एक दौर में उन्हें भारत का दूसरा सचिन तेंदुलकर तक कहा जाता था. 260 प्रथम श्रेणी मैचों में 50.67 की औसत से 19,410 रन बनाए हैं. उन्होंने 57 शतक और 91 अर्द्धशतक बनाए हैं. उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 314 रहा है. रणजी मैचों में भी उनके बल्ले से खूब रन बने हैं.
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वसीम जाफर का अंतरराष्ट्रीय करियर घरेलू क्रिकेट जितना सफल नहीं रहा है. साल 2000 से 2008 के बीच में उन्होंने भारत के लिए 31 टेस्ट मैच खेले थे. इस दौरान उन्होंने 5 शतक और 11 अर्धशतक भी लगाए थे. उन्होंने कुल 1944 रन बनाए थे.
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वसीम जाफर ने जब उत्तराखंड के कोच की जिम्मेदारी ली थी तो उनसे सबको काफी उम्मीदें थीं. कुछ रिपोर्ट्स सामने आई है जिसमें बताया गया है कि उत्तराखंड टीम के कोच बनाने के बाद से वसीम जाफर पर सांप्रदायिक होने के आरोप लगे थे. इकबाल अब्दुल्ला को जबरदस्ती टीम का कप्तान बनाने की वजह से कई खिलाड़ी उनसे नाराज थे. उन पर आरोप लगे कि उन्होंने धार्मिक आधार पर उत्तराखंड की टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ को बदला था. विवाद बढ़ने के बाद जाफर ने पद से इस्तीफा दे दिया था.
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वसीम जाफर ने इन आरोपों की सफाई देते हुए बयान जारी किया था. उन्होंने कहा था कि ऐसे आरोपों से मुझे बहुत दुख हुआ है. मैंने क्रिकेट में कभी धर्म को आधार नहीं बनाया है. उन्होंने यह भी कहा था कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए भी कभी उन पर ऐसे आरोप नहीं लगे थे.
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वसीम जाफर उन चुनिंदा क्रिकेटरों में से हैं जिनकी मजाकिया छवि सोशल मीडिया पर नजर आती है. मैच हो या कोई और मुद्दा, वह ट्विटर पर कई बार मजेदार ट्वीट करते हैं. उनके ट्वीट को काफी फैंस लाइक और शेयर करते हैं.