कोविड (Covid-19) महामारी के साथ जीने के लिए लोग अभ्यस्त हो गए हैं. 2 साल हो गए, जब कोविड को वैश्विक महामारी का दर्जा मिला. लोग धीरे-धीरे कोविड के साथ जीना सीख रहे हैं. कई देशों में अब कोविड सामान्य फ्लू की तरह ट्रीट किया जा रहा है. हालांकि वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि कोविड के नए वेरिएंट और असमान वैक्सीनेशन की दर, महामारी की दोबारा वापसी करा सकती है.
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अमेरिकी ग्लोबल हेल्थ रिसर्चर क्रिस्टोफर मरे ने जनवरी के अंत में द लैसेंट मेडिकल जर्नल में एक आर्टिकल लिखा था. यह आलेख बेहद चर्चित रहा है. आर्टिकल का शीर्षक था, 'कोविड-19 विल कंटिन्यू बट एंड ऑफ द पेंडेमिक इस नीयर.' आसान भाषा में कहें तो कोविड-19 संक्रमण जारी रहेगा लेकिन महामारी का अंत नजदीक है. उन्होने अपने आलेख में दुनियाभर के कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों की आशाओं का जिक्र किया. दुनिया उम्मीद से देख रही है.
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मार्च 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड महामारी घोषित किया था. हाल ही में ब्रिटेन और डेनमार्क जैसे देशों ने सभी सख्त कोविड प्रतिबंध हटा दिया है. कई अमेरिकी राज्यों ने भी मास्क और अन्य नियमों में ढील दी है.
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ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने कहा है कि म्युटेशन ने कोविड के साथ जीने की कला सिखा दी है. ओमिक्रोन वेरिएंट के सामने आने के बाद से ही मौत के आंकड़ों में लगातार गिरावट देखी गई है. ओमिक्रोन पूरी दुनिया में कम खतरनाक रहा.
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कुछ बीमारियां महामारी नहीं होतीं, एंडेमिक में तब्दील हो जाती हैं. ठीक उसी तरह जैसे फ्लू. कोविड आने वाले दिनों में ऐसा ही बनता नजर आ रहा है. खतरनाक यह भी होता है लेकिन महामारी नहीं कहा जा सकता. जैसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट एरिस काटज़ोराकिसो का मानना है कि एंडेमिक को पेंडेमिक की तरह समझा जा रहा है. नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया से कुल 6,00,000 लोगों की मौत हुई है, वहीं 1.5 मिलियन लोग टीबी से मर गए हैं.
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कोविड के नए म्युटेशन के साथ लोग जीना सीख रहे हैं. ओमिक्रॉन वेरिएंट दुनिया में कम खतरनाक रहा लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि नया वेरिएंट कितना खतरनाक होगा. हो सकता है कि आने वाले वेरिएंट डेल्टा की तरह महामारी की वापसी करा दें.
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दुनिया के जिन देशों में वैक्सीनेशन की दर अच्छी है मौत के आंकड़े भी कम कर रहे हैं. वैक्सीन, कोविड के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण पर दुनिया को जोर देना चाहिए. दुनिया के कई देश ऐसे हैं जहां अब भी वैक्सीन असमानता है. दक्षिण अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे कम वैक्सीनेशन हुआ है. ऐसे में वैक्सीन असमानता लोगों की चिंता बढ़ा रही है. (एजेंसी इनपुट के साथ)