कोविड-19 (Covid-19) के प्रभावों पर लगातार स्टडी जारी है. अमेरिका में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होने के एक साल बाद तक घबराहट, अवसाद और सोने में दिक्कत जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
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दि बीएमजे में बुधवार को प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया कि कोविड-19 से संक्रमित होकर ठीक हो चुके लोगों को मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना चाहिए. यह महामारी मानसिक सेहत को भी प्रभावित कर रही है.
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महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक दुनिया में 40 करोड़ 30 लाख और अमेरिका में सात करोड़ 70 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. स्टडी में शामिल रहे वाशिंगटन विश्वविद्यालय के रिसर्चर जियाद अल अली ने आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि कोविड-19 संक्रमण की वजह से दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के 1,48,00,000 नए केस सामने आए हैं.
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कोविड की वजह से अमेरिका में ऐसे 28 लाख से ज्यादा केस सामने आए हैं. रिसर्चर ने अमेरिका के पूर्व सैनिक कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटाबेस के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है. मार्च 2020 और जनवरी 2021 के बीच पीसीआर जांच (PCR Test) में संक्रमित पाए जाने के कम से कम 30 दिन बाद लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के खतरे बढ़े हैं.
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अध्ययन में केवल उन रोगियों को शामिल किया गया है जो कोविड होने से 2 साल पहले तक किसी भी तरह के मेंटल हेल्थ से नहीं जूझ रहे थे. स्टडी में पोस्ट कोविड इंपैक्ट पर ही ध्यान दिया गया है.
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स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि कोविड संक्रमित लोगों में डिप्रेशन का खतरा 39 फीसदी ज्यादा था. 35 फीसदी लोग घबराहट और चिंता से जूझ सकते हैं. कोविड से संक्रमित होने वाले मरीजों में 38 फीसदी तनावग्रस्त होने की आशंका है वहीं 41 फीसदी लोगों में अनिद्रा या स्लीपिंग डिसऑर्डर की समस्या देखने को मिल सकती है.