Delhi Fire: 26 मई की रात दिल्ली के विवेक विहार में चाइल्ड हॉस्पिटल में आग लगी और 7 नवजात की मौत हो गई... 25 मई को गुजरात के राजकोट गेमिंग जोन में भीषण आग लगी और 12 बच्चों समेत 35 लोगों की मौत हो गई...
गुजरात में हुई मौतों पर तो हाई कोर्ट सख्त हुआ और उसने मामले को संज्ञान लिया और इस आग की घटना को मानव जनित और सरासर लापरवाही करार दिया.
लेकिन लगभग हर दिन दिल्ली के अस्पतालों, दुकानों, अपार्टमेंट्स और मॉल्स में आग लगने के हादसे सामने आ रहे हैं. मंगलवार को एकबार फिर दिल्ली के पश्चिम विहार के आई मंत्रा अस्पताल में आग लगी. दमकल की 5 गाड़िया भेजी गई हैं. हालांकि इस आग में कोई हताहत नहीं हुआ है.
क्यों नहीं थम रहा है आग का सिलसिला
सिर्फ दिल्ली की बात करें तो महज पांच महीने में 55 लोग आग के कारण अपनी जान गवां चुके हैं और 300 से ज्यादा घायल और इससे झुलस चुके हैं.
दिल्ली फायर सर्विसेज के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में 16, फरवरी में भी 16, मार्च में 12, अप्रैल में 4 और 26 मई तक 7 लोग मारे गए हैं. जबकि 2023 में इसी दौरान 36 लोगों ने आग के कारण जान से हाथ धोया था. आगलगी का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हो रहा है महज इस पांच महीनों में फायर विभाग को 8,912 कॉल आए. पिछले साल से अगर तुलना की जाए तो महज पांच महीनों में आई आग लगने की घटनाओं में 32.26 फीसदी का इजाफा हुआ है.
दिल्ली अग्निशमन विभाग के प्रमुख अतुल गर्ग कहते हैं 'बेबी केयर अस्पताल के पास आग से सुरक्षा के लिए कोई एनओसी नहीं था और न ही आग से निपटने की ही कोई व्यवस्था.'
इस पूरे प्रकरण में घातक रहा ऑक्सीजन सिलेंडर का फट जाना.
उन्होंने कहा, ' चाहे एनओसी सर्टिफिकेट की जरूरत हो या नहीं लेकिन सभी इमारतों को सुरक्षा के इंतजाम कर के रखने चाहिए.'
गर्ग डीएनए हिंदी से बातचीत में कहते हैं, "इन दिनों फायर विभाग को हर दिन 200 से अधिक आग लगने के कॉल आ रहे हैं."
वह बताते हैं कि, "पिछले साल तक गर्मियों में औसतन 150 से 160 कॉल आते थे."
"अगर तापमान एक डिग्री और बढ़ा तो ये नंबर और बढ़ सकते हैं और 250 दिन के पहुंच सकते हैं."
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NOC ही नहीं लाइसेंस भी था 'डेड'
शनिवार की रात पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में बच्चों के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में रात में आग लगी जिससे 7 मासूमों की मौत हो गई. दमकल की 16 गाड़ियां मासूमों को बचाने में नाकामयाब रहीं. पुलिस और फायर डिपार्टमेंट ने कहा हॉस्पिटल चलाने की लाइसेंस डेट भी खत्म हो चुकी थी. अग्निशमन विभाग ने भी लगभग पल्ला झाड़ लिया और कहा कि इमारत को NOC नहीं था. वहीं थोड़ी ही देर में पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत में आग लगी और तीन लोगों की मौत हो गई.
यह पूछने पर कि अगर एनओसी नही था तो बंद क्यों नहीं हुई बिल्डिंग? दिल्ली फायर प्रमुख कहते हैं कि बिल्डिंग को लाइसेंस देने की अथॉरिटी अलग अलग होती है. हमें तो सिर्फ निगरानी और चेक करने जाना होता है जिस बिल्डिंग के लिए चेकिंग आती है हमारी टीम जाती है.
आग की न तो पहली न आखिरी घटना है
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट में पता चला है कि 7,500 से अधिक आग की घटनाओं में 7,435 लोग मारे गए. वहीं 2015 की एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि आग लगने से हर दिन 48 लोग अपनी जान गंवांते हैं.
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बड़ी आग की घटनाएं
आज भी 1997 में उपहार सिनेमा में लगी वो आग दहला जाती है. बॉर्डर फिल्म के दौरान सिनेमा हॉल में लगी आग से 59 लोगों की जान चली गई थी. वहीं 103 लोग घायल हो गए थे.
वहीं तमिलनाडु के तंजावुर जिले के कंभकोणम अग्निकांड में 94 स्कूली बच्चे मारे गए थे. जबकि मेरठ के विक्टोरिया पार्क में प्रदर्शनी के दौरान लगी आग में 65 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था.
सिर्फ अगल दिल्ली की बात करें तो इसी साल 15 फरवरी को बाहरी दिल्ली के अलीपुर के दयालपुर बाजार में एक पेंट फैक्ट्री में आग लगने से 11 लोग जिंदा जल गए.
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Fire Safety में दिल्ली Fail, 5 महीने में हो चुकी हैं 55 मौतें