विश्व जल दिवस दुनिया भर में हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है. पानी के संरक्षण और जल स्त्रोतो की सुरक्षा, स्वच्छता, भूजल स्तर को बचाने जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर इसकी शुरुआत की गई थी. संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व जल दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. साल 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट में विश्व जल दिवस को मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. जानें इस साल की थीम और भारत में पानी की क्या है स्थिति.
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इस साल की थीम ‘Groundwater: Making The Invisible Visible’ है. हिंदी में इसे भूजल: अदृश्य को दृश्य बनाना है. इंटरनेशनल ग्राउंडवाटर रिसोर्स असेसमेंट सेंटर ने यह थीम प्रस्तावित की है. बता दें कि पिछले एक दशक में भारत ही नहीं दुनिया भर में भूजल का स्तर चिंताजनक तरीके से घट रहा है. इसकी वजह जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन है. इस थीम का उद्देश्य है कि लोगों को भूजल स्तर और पर्यावरण संतुलन के लिए जागरूक करना है.
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भारत में औद्योगिकीकरण और पेड़ों की कटाई की वजह से भूजल का स्तर चिंताजनक तरीके से घट रहा है. 2007-2017 के बीच देश में भू-जल स्तर में 61% तक की कमी आई है. देश के 40% से अधिक क्षेत्रों में सूखे का संकट है. 2030 तक बढ़ती आबादी के कारण देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी. इससे लाखों लोग पानी की समस्या से जूझेंगे. साल 2018 में नीति आयोग द्वारा किये गए एक अध्ययन में 122 देशों के जल संकट की सूची में भारत 120वें स्थान पर है. जल संकट से जूझ रहे दुनिया के 400 शहरों में से शीर्ष 20 में 4 शहर (चेन्नई पहले, कोलकाता दूसरे, मुंबई 11वां तथा दिल्ली 15 नंबर पर है) भारत में है.
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भारत में तेजी से घटते पानी के स्रोत और कम होता भूजल स्तर गंभीर संकट की ओर इशारा कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अगर भारत में जल संरक्षण के लिए मिशन मोड में कान नहीं हुआ तो हो सकता है कि देश के 4 बड़े शहर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में 2030 तक पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा. ऐसी स्थिति में भारत में पानी का संकट केपटाउन की तरह हो सकता है. केपटाउन में जल संकट की वजह से लोगों को नहाने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है.
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भारत में जल प्रणाली व्यवस्थित न होने की वजह से वितरण में असमानता है. विश्व स्वाथ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, एक व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर दिन करीब 25 लीटर पानी काफी है. भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई में नगर निगम द्वारा निर्धारण 150 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन से भी ज्यादा पानी दिया जाता है. दिल्ली प्रति व्यक्ति पानी के खपत के लिहाज से दुनिया में पहले नंबर पर है. यहां पानी की प्रति व्यक्ति प्रतिदिन खपत 272 लीटर है जिसकी बड़ी वजह पानी की बर्बादी और औद्योगिक खपत है. साथ ही, घरों में पानी के उपयोग की कोई मानक सीमा का न होना भी है.
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- भूजल स्तर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि पेड़ों को कम से कम काटा जाए.
- रोजाना की जरूरतों के लिए लें संकल्प, जरूरत से ज्यादा पानी की नहीं करेंगे बर्बादी
- पानी के सदुपयोग की छोटी-छोटी आदतें डालें, जैसे कि चावल या दान का पानी फेंकने के बजाय गमलों में डालें, घर के ढीले नल वगैरह की तुरंत मरम्मत करें. सोसाइटी में कहीं पानी बर्बाद होते देखें तो रोकें.
-जन्मदिन या किसी खास मौके पर पेड़ लगाएं क्योंकि पेड़ और हरियाली ही भूजल स्तर को बचा सकते हैं.
- बारिश के पानी को बर्बाद करने के बजाय घरेलू स्तर पर जमा करें और उन्हें लॉन या पौधों में डाल सकते हैं.