डीएनए हिंदी: मगध योद्धाओं की भूमि रही है. इसे प्राचीन इतिहास में महान शासकों का राज्य भी कह दिया जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. इसके असीम बलशाली शासकों की शृंखला की शुरुआत महाभारत काल में जरासंध से होती है और कई महान भुजाबल की गवाह होती हुई आधुनिक इतिहास तक पहुँचती है.
पटना जिसने बसाया
हर्यंक वंश के संस्थापक बिंबिसार इसी मगध के राजा हुआ करते थे. आज का पटना जिसे कहते हैं वह प्राचीन काल में पाटलीपुत्र कहलाया जाता था. बिंबिसार ने इस पाटलीपुत्र नाम की जगह की स्थापना एक गाँव के रूप में लगभग पाँच सौ ईसा पूर्व की थी. बिंबिसार का जीवनकाल 558 से 491 ईसा पूर्व माना जाता है. वे भट्टीय नाम के एक स्थानीय राजा के पुत्र थे, जिन्होंने संभवतः अपनी पिता की हार का बदला लेने के लिए अंग पर आक्रमण किया था और राज्य-विस्तार की नीति अपनायी थी.
पंद्रह बरस की उम्र में संभाली गद्दी
बिंबिसार ने बमुश्किल पंद्रह साल की उम्र में मगध की सत्ता संभाली थी. साम दाम दंड भेद से राज्य-विस्तार बिंबिसार की नीति थी. वैवाहिक सम्बन्धों के सहारे संबंध दुरुस्त करने के सिलसिले में उन्होंने पहला क़दम कोसल की राजकुमारी से शादी कर उठाया. कोसल से यह संबंध स्थापित करना विशेष फ़ायदे का सौदा था क्योंकि उन्हें कोसल की ओर से दहेज़ अथवा वैवाहिक तोहफ़े के रूप में काशी हासिल हुआ था जिसका राजस्व उन दिनों लाख रूपये था.
शादी के ज़रिये साम्राज्य विस्तार
बिंबिसार ने विवाह के द्वारा साम्राज्य विस्तार में अगला क़दम केतकी, वैदेही और उस वक़्त के शक्तिशाली राजा माद्र की बेटी खेमा को पत्नी बना कर किया था.
बिंबिसार ने गाँवों के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया और माना जाता कि वे बेहद सहिष्णु राजा थे जिन्होंने जैन और बौद्ध, दोनों धर्मों को लगभग बराबर प्रश्रय दिया.
बिंबिसार की मृत्यु को लेकर कई किवदंतियाँ हैं. कुछ के अनुसार उनकी हत्या उनके ही प्रिय पुत्र अजातशत्रु ने की थी, वहीं कई सूत्र यह बताते हैं कि अजातशत्रु के द्वारा बंदी बना लिए जाने के बाद अपने अपमान से बचने के लिए उन्होंने मृत्यु को चुना था.
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