डीएनए हिंदीः प्रदूषण (Pollution) से जुड़ी यह खबर आपको परेशान कर सकती है. शिकागो यूनिवर्सिटी (The University of Chicago) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बेहद चौकाने वाले खुलासे हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत (India) में लोगों की असमय मौत प्रदूषण के कारण हो रही है. इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्लीवासियों की औसतन उम्र 10 वर्ष घट रही है. वहीं उत्तर भारतीयों पर प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हो रहा है.
शिकागो यूनिवर्सिटी (The University of Chicago) ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें भारत (India) को दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर रखा गया है. एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक यह रिपोर्ट यह तय करती है कि अगर प्रदूषण का स्तर तय मानकों से ज्यादा है तो वहां रहने वाले लोगों की उम्र पर कितना बुरा असर पड़ता है.
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लोगों की औसत उम्र पर गंभीर असर
शिकागो यूनिवर्सिटी (The University of Chicago) की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे भारत (India) में एक भी जगह ऐसी नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्वच्छ हवा के मानकों पर खरी उतरती हो. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक पीएम 2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कम होना चाहिए जबकि भारत में 63% आबादी ऐसी जगह पर रहती है जो भारत के बनाए हुए खुद के मानक जो कि 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है उससे भी ज्यादा प्रदूषण को झेल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक इसीलिए इस आबादी पर सबसे ज्यादा खतरा है. हाल ही में जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 10 वर्ष घट रही है. वहीं उत्तर भारत में रहने वालों लोगों के लिए भी प्रदूषण बड़ा खतरा बन रहा है, यहां रहने वाले लोगों की उम्र 7 वर्ष 6 महीना घट रही है. वहीं अगर पूरे भारत की बात की जाए तो प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र में कम से कम 5 वर्ष की कमी आयी है.
धूम्रपान, एचआईवी और आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक
हाल ही में जारी हुई इस रिपोर्ट में किए गए आकलन के मुताबिक भारत में प्रदूषण को जानके लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है.इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण जहां औसतन किसी की उम्र 5 वर्ष घटाता है वहीं, भारत में कुपोषण की वजह से उम्र लगभग 1 वर्ष 8 महीने घटती है. कहा जाए तो प्रदूषण को कुपोषण से ज्यादा गंभीर स्थिति में पाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो उसकी औसत उम्र डेढ़ वर्ष कम हो जाती है.जबकि शराब के सेवन से होने वाले नुकसान के मुकाबले प्रदूषण से भारत में 3 गुना ज्यादा नुकसान होता है.एचआईवी एड्स के मुकाबले प्रदूषण को 6 गुना अधिक घातक बताया गया है. रिपोर्ट में एक और खुलासा हुआ है कि आतंकवाद और दंगों में जितने लोग मारे जाते हैं उस से 89 गुना ज्यादा लोग केवल वायु प्रदूषण की वजह से मारे जा रहे हैं.
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भारत में लगातार बढ़ रहा है पीएम का स्तर
1998 के बाद से अब तक भारत में वार्षिक पार्टिकुलेट पॉल्यूशन यानी पीएम 2.5 का स्तर 61.4% बढ़ गया है. इसी वजह से लोगों की उम्र तेजी से घट रही है. 2013 के बाद से दुनिया में जितना भी प्रदूषण रहा है उसमें 44% योगदान भारत का है. भारत की 40% आबादी जो उत्तर भारत में रहती है वह प्रदूषण की वजह से अपनी उम्र के 7 वर्ष गंवा रही है. लखनऊ का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अगर भारत में प्रदूषण का स्तर ऐसा ही रहा तो लखनऊ का निवासी अपनी औसत उम्र के साढ़े 9 साल गवां बैठेगा.
रिपोर्ट की अगर माने तो भारत अगर प्रदूषण के स्तर को औसतन 25% तक घटा दे तो भारतीयों को प्रदूषण से होने वाले उम्र के नुकसान को औसतन 1 वर्ष 4 महीने घटाया जा सकता है. वही दिल्ली एनसीआर (Delhi-NCR) में रहने वाले लोगों को होने वाला नुकसान 2 वर्ष 6 महीने घट जाएगा.
दिल्ली के बाद दूसरे नंबर पर है बिहार
रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक दिल्ली (Delhi) में रहने वाला व्यक्ति 107.6 पीएम 2.5 का शिकार होता है जिसका स्तर भारतीय मानकों के हिसाब से ही 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए. भारत में दिल्ली के बाद दूसरा नंबर बिहार का है जहां पीएम 2.5 का स्तर प्रति व्यक्ति लगभग 86 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. वहीं हरियाणा में प्रदूषण 80 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में यह स्तर 65 है.
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Pollution: बढ़ रहा है भारतीयों की असमय मौत का खतरा, इस रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे