डीएनए हिंदी: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि इस्लामिक कानून एक पत्नी के रहते मुस्लिम (Muslim) व्यक्ति को दूसरी शादी करने का अधिकारी देता है, लेकिन उसे पहली पत्नी के मर्जी के बिना साथ रहने के लिए बाध्या नहीं किया जा सकता. उच्च न्यायालय साथ ही यह भी कहा कि पत्नी के रहते हुए और उसकी सहमति के बगैर दूसरी शादी करना क्रूरता है. कोर्ट ने आगे कहा कि जिस समाज महिलाओं का सम्मान नहीं, उसे सभ्य समाज नहीं कहा जा सकता.
जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस राजेंद्र कुमार की बेंच ने एक मुस्लिम पति की ओर से दायर याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की. मु्स्लिम शख्स ने पहली पत्नी के साथ वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए फैमिली कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने कहा कि मुसलमानों को एक पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी करने से बचना चाहिए. जो एक पत्नी के साथ न्याय नहीं कर पा रहा, उस शख्स को दूसरी शादी करनी की इजाजत कुरान भी नहीं देता.
ये भी पढ़ें- पंचतत्व में विलीन हुए 'धरतीपुत्र', नम आंखों से अखिलेश ने दी मुखाग्नि
सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार
हाईकोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के तमाम फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सविंधान का अनुच्छेद-21 प्रत्येक नागरिक को गरिमामय जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकारी देता है. कोर्ट ने कहा कि यदि पहली पत्नी के मर्जी के खिलाफ पति के साथ रहने को बाध्य किया जाए तो यह महिला के गरिमामय जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार का उल्लघंन होगा.
ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी विवाद में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर सुनवाई पूरी, 14 अक्टूबर को देगी आदेश
क्या है पूरा मामला?
अजीजुर्रहमान और हमीदुन्निशा शादी 12 मई 1999 को हुई थी. हमीदुन्निशा के तीन बच्चें हैं. वह बच्चों को लेकर अपने मायके माता-पिता के साथ रहती है. उसके पति अजीजुर्रहमान ने उसे बताए बगैर दूसरी शादी कर ली और उससे भी उसे बच्चे हैं. दूसरी शादी करने के बाद अजीजुर्रहमान दूसरी पत्नी के साथ रहने लगा. लेकिन अब वो हमीदुन्निशा को भी साथ रखना चाहता है. लेकिन हमीदुन्निशा ने साथ रहने से इनकार कर दिया. इसके बाद पति ने परिवार अदालत में हमीदुन्निशा को साथ रहने के लिए केस दायर कर दिया. परिवार अदालत ने अजीजुर्रहमान के पक्ष में आदेश नहीं दिया तो उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. जिसे हाईकोर्ट ने आज खारिज कर दिया.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
'दूसरी शादी करने पर पहली पत्नी को साथ रहने के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य': हाईकोर्ट