डीएनए हिंदी: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid Case) में लाल कृष्ण आडवाणी समेत अन्य नेताओं को बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत अन्य आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अपील दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं को पीड़ित नहीं माना है.
जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने 31 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि हाजी महबूब अहमद और सईद अखलाक अहमद नाम के शख्स ने सीबीआई अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद गिराये जाने के दौरान वह वहां मौजूद थे. उनके घरों को भी नुकसान पहुंचा था. दोनों याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसियों ने आरोपियों को बचाने का काम किया और सरकार ने भी पीड़ितों की मदद नहीं की.
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कोर्ट में सरकारी ने दी ये दलील
वहीं, सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि जिस मामले में याचिकाकर्ता पीड़ित थे उस मामले में उन्होंने अपील दायर नहीं की. जिस मामले का याचिका में जिक्र किया गया है उसमें उनका वाद ही नहीं बनता है. कोर्ट ने इसे अगले सुनवाई तक नहीं पाया और याचिका को खारिज कर दिया.
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CBI कोर्ट ने आडवाणी समेत 32 नेताओं किया था बरी
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में CBI अदालत ने सितंबर 2020 को बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती समेत 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया था. इन सभी पर 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाने के पीछे आपराधिक साजिश रचने का आरोप था. विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है और ना ही ये विध्वंस सुनियोजित था.
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बाबरी मस्जिद केस: HC से आडवाणी को बड़ी राहत, बरी के खिलाफ दायर याचिका खारिज