डीएनए हिंदी: महात्मा गांधी भारत के ऐसे चिंतक हैं जिनके विचारों को दुनिया स्वीकारती है. उनकी राह पर चलकर दुनिया के कई आंदोलन हुए हैं. महात्मा गांधी के विचारों की जरूरत जितनी कल थी, उतनी आज भी है. तभी उनका जिक्र देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति से लेकर सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति तक भी करता है. यही गांधी की प्रासंगिकता है और उनके विचारों का दम भी.
महात्मा गांधी के 153 वीं जयंती के उपलक्ष्य में दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में छात्रों के बीच गांधी को समझने और उनके अंदर रचनात्मक विकास के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. इस तीन दिवसीय कार्क्रकम में पहले दिन भाषण और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तो दूसरे दिन स्टोरी टेलिंग ओर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
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स्टोरी टेंलिंग में 12 और पेंटिंग प्रतियोगिता में 15 छात्र-छात्राओं ने अपने कला का प्रदर्शन किया. स्टोरी टेलिंग प्रोग्राम का विषय 'जब मैं बापू से मिला' था, तो पेंटिंग का विषय 'महामारी में गांधी' था.
गांधी के विचारों को जीवंत कर रहे हैं छात्र
राजधानी कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने कहानी और पेंटिंग में गांधी विचार को जीवंत कर दिया. सबसे बड़ी बात यह रही कि ग्रेजुएशन के छात्र-छात्राओं ने जिस तरीके से गांधी जी को केंद्र में रख कर कहानी और चित्रकारी का प्रदर्शन किया, उसे देखकर कहा जा सकता है कि नई पीढ़ी में गांधी के विचार एवं दर्शन के साथ ही गांधी के जीवन के हर पहलू से छात्र परिचित होना चाहते हैं. युवाओं की कहानी और पेंटिंग में गांधी विचार के प्रति परिपक्वता झलक रही थी.
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गांधी के सिद्धांत को अव्यवहारिक कहने वाले कम नहीं
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर राजेश गिरि ने कहा, 'गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत को अव्यवहारिक कहने वालों की संख्या बहुत है. गांधी विचार एवं सिद्धांत को आज के युग में कारगर नहीं कहा जाता है लेकिन सच्चाई यह है कि गांधी के एक सिद्धांत- सत्य को यदि हम मजबूती से पकड़ लें तो हमारी अधिकांश समस्याएं खत्म हो जाएगी. सच बोलने की हिम्मत अगर रहेगी तो हमारा राह आसान होगी.'
कार्यक्रम में गांधी स्मारक निधि के राष्ट्रीय सचिव संजय सिंह ने युवाओं में गांधी की लोकप्रियता और उनके विचारों को आत्मसात करने को भविष्य के लिए सार्थक संदेश बताया.
ईमानदारी से स्वीकारें गांधी के सिद्धांत
गांधी पर छात्रों ने अलग-अलग कहानियां कहीं. छात्रों ने गांधी के सत्य, अहिंसा, भाईचारा और विभिन्न सिद्धांतों को आधार बनाकर कहानियों को सुनाया. हर कहानी का यह संदेश था कि गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. गांधी के विचार मानवता और विश्व में सार्थक बदलाव लाने में सक्षम हैं. बशर्ते आप उसे ईमानदारी से लागू करें.
पेंटिंग में छात्रों ने गांधी के स्वच्छता से लेकर यातायात के नियमों और दिनचर्या से संबंधित तमाम विषयों को समेटते हुए पेंटिंग बनाया. चित्र एवं शब्द के माध्यम से छात्रों ने गांधी के विचार को जीवंत कर दिया.
कॉलेज का ‘गांधी स्वाध्याय मंडल’ छात्रों के बीच गांधी विचार गोष्ठी का आयजन करता रहता है. इस बार कॉलेज के ‘गांधी स्वाध्याय मंडल’ ने ‘अहिंसा पखवाड़ा’ में तीन दिवसीय आयोजन में 11 अक्टूबर को 'सांप्रदायिकता के नए खतरे और महात्मा गांधी' विषय पर एक भाषण एवं राष्ट्रपिता के नाम एक चिट्ठी पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया. जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेजों के छात्रों ने भाग लिया.
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'गांधी अव्यवहारिक नहीं, मौजूदा वक़्त की ज़रूरत हैं'