डीएनए हिंदी: बिहार के फुलवारीशरीफ आतंकी माड्यूल (PhulwariSharif Terror Module) और इसके PFI से जुड़े होने की मामलों की जांच अब केंद्रीय जांच एजेंसी NIA करेगी. वहीं इस आतंकी साजिश में क्रिप्टो फंडिंग (Crypto Funding) और ट्रांजैक्शन के भी दावे किए जा रहे हैं जिसको लेकर बिहार पुलिस ने स्पष्ट तौर पर इन सभी दावों से इनकार किया है. इसको लेकर पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एमएस ढिल्लो ने कहा है कि क्रिप्टो से फंडिंग के दावे बेबुनियाद हैं.
दरअसल, बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में एक टेटर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था. इस मामले में झारखंड के एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी समेत 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन सभी पर देश विरोधी साजिशों रचने का गंभीर आरोप है जो कि भारत को 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की प्लानिंग कर रहे थे.
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क्रिप्टो से फंडिंग का हुआ था जिक्र
वहीं इस मामले में यह बातें सामने आईं थीं कि आतंकियों ने क्रिप्टोकरेंसी में फंडिंग हासिल की थी और इस केस में क्रिप्टो के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का दावा किया गया था. देश के खिलाफ साजिश रचने में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा झटका है. ऐसे में अब बिहार पुलिस की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी से फंडिंग की बातों को इनकार किया है.
PFI से संबंध की बात स्वीकारी
आपको बता दें कि इस केस में गिरफ्तार झारखंड के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद जलालुद्दीन ने जांच एजेंसियों द्वारा कड़ी पूछताछ में इस बात को कबूल किया है कि इस साजिश में उसके संबंध PFI के साथ है. गौरतलब है कि पहले वो इन सभी आरोपों से इनकार कर रहा था लेकिन अब उसने सारी साजिश कबूल दी है.
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गिरफ्तार आरोपी ने यह भी बताया है कि उसकी PFI के साथ न केवल नजदीकियां थीं बल्कि वो संगठन के लोगों को ट्रेनिंग देने के कामों में भी शामिल था. वहीं गिरफ्तार हुए अन्य आरोपी ने यह भी बताया है कि ये लोग अन्य प्रदेशों से आने वाले ट्रेनरों का भी इलाके में ठहराने का काम करते थे.
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फुलवारीशरीफ टेरर मॉड्यूल में Crypto से नहीं हुई कोई फंडिंग, आरोपियों ने कबूल की ये बातें