डीएनए हिंदी: दिल्ली (Delhi) के नगर निगम चुनावों (MCD Elections 2022) में आम आदमी पार्टी (AAP) प्रचंड बहुमत के करीब है. अरविंद केजरीवाल की आंधी में भारतीय जनता पार्टी (BJP) बहुत पीछे छूट गई है. नतीजे साफ इशारा कर रहे हैं कि दिल्ली में हर फैक्टर फीका है, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ही इकलौते ऐसे फैक्टर हैं, जिनके इर्द-गिर्द अब दिल्ली की सियासत घूम रही है.
आम आदमी पार्टी 133 सीटों पर जीत के करीब है, वहीं बीजेपी 104 सीटें हासिल करती नजर आ रही है. कांग्रेस दहाई के आंकड़े से दूर है और संघर्ष कर रही है. बीजेपी बहुमत से कोसों दूर है लेकिन बीजेपी के लिए सबकुछ बुरा नहीं है. अब भी विकल्प बचे हुए हैं.
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...तो फिर एमसीडी में काबिज हो सकती है BJP
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए आशा का किरण एक कानून है. दरअसल दल-बदल कानून पंचायत और नगर निगम चुनावों पर लागू नहीं होते. अगर बीजेपी AAP के जीते हुए पार्षदों को खींचने में कामयाब होती है तो सियासी हालात बदले से नजर आ सकते हैं.
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BJP को सरकार बनाने का हुनर मालूम है. गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसी जगहों पर अपनी सधी हुई रणनीति से सरकार में काबिज हुई बीजेपी के लिए एमसीडी की राह इतनी भी मु्श्किल नहीं है. अरविंद केजरीवाल अगर बहुमत के आंकड़ों से ज्यादा सीटें नहीं जीतते हैं तो पार्षदों को संभालना उनके लिए इतना भी आसान नहीं है.
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क्या है दल बदल कानून?
साल 1985 में 52वें संविधान संशोधन के जरिए देश में ‘दलबदल विरोधी कानून’ पारित किया गया था. इसे संविधान की दसवीं अनुसूची में जोड़ा गया था. विधायकों के एक पार्टी को छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल होने को लेकर राजनीति को लेकर कई सवाल उठने लगे थे. दल-बदल को रोकने के लिए बना यह कानून संसद और विधानसभा में तो यह कानून लागू होता है लेकिन नगर निगम में यह कानून नहीं लागू होता है.
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क्या जीते पार्षदों को संभाल सकेंगे अरविंद केजरीवाल, बिना दल-बदल कानून के बिखर न जाए AAP?