डीएनए हिंदी: दिल्ली विधानसभा चुनावों के अजेय फैक्टर बनी आम आदमी पार्टी (AAP) अब दिल्ली नगर निगम (MCD 2022) पर काबिज होती नजर आ रही है. नगर निगम की 250 सीटों पर वोटों की गिनती हो रही है लेकिन आंकड़े भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में जाते नजर नहीं आ रहे हैं. शुरुआती रुझानों में कभी बीजेपी आगे बढ़ती नजर आ रही है तो कभी AAP. थोड़ी देर पीछे रहने के बाद फिर अचानक से AAP आगे आ रही है. ऐसा साफ नजर आ रहा है कि मोदी मैजिक फीका पड़ा है और दिल्ली के लिए सबसे बड़े विनिंग फैक्टर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ही हैं.
नगर निगम चुनावों में अगर किसी पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब है तो वह है कांग्रेस. पहले भी आसार जताए जा रहे थे कि दिल्ली में कांग्रेस टक्कर में ही नहीं है. शुरुआती रुझानों में ही भी यही हाल नजर आ रहा है. कांग्रेस महज 11 सीटों पर संघर्ष करती नजर आ रही है. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का लाभ दिल्ली में नजर नहीं आया और राजधानी में स्थानीय मुद्दे हावी रहे.
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AAP के कौन से मुद्दे BJP पर पड़े भारी?
एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा बीते 17 साल से है. आम आदमी पार्टी यह साबित करने में कामयाब रही है कि बीजेपी ने डेढ़ दशक से कुछ नहीं किया है. अगर ऐसा कर सकती तो दिल्ली साफ-सुथरी नजर आती. ऐसे कई मुद्दे हैं जहां बीजेपी बैकफुट पर है. जैसे नालियों की सफाई, शहर के भीतरी इलाकों में टूटी-फूटी सड़कें. सड़कों पर कचरे और कचरे के पहाड़. लैंडफिल स्लाइड को चुनावी मुद्दा बनाने में अरविंद केजरीवाल कामयाब रहे हैं.
दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां की बुनियादी हालत ठीक नहीं है. मयूर विहार एक्सटेंशन के पास चिल्ला गांव है. वहां जाने पर दिल्ली की असली स्थिति नजर आती है. बारिश के दिनों पर सड़कें पानी में डूबी हुई नजर आती हैं. नाली की व्यवस्था गांवों से खराब है. गलियां टूटी-फूटी हैं और स्ट्रीट लाइट तक की व्यवस्था नहीं है. पांडव नगर में भी सड़कें प्रभावित हैं. ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में कूड़े के पहाड़ खड़े हैं. दिल्ली, कूड़े के पहाड़ पर खड़ी है, जिसे साबित करने में AAP कामयाब रही है.
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क्या घटने लगा है मोदी मैजिक?
ऐसा साफ नजर आ रहा है कि दिल्ली का चुनाव, स्थानीय चुनाव है, जिसमें मोदी मैजिक असर नहीं करेगा. भले ही दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर भले ही बीजेपी काबिज हो लेकिन विधानसभा और एमसीडी को जनता अब केजरीवाल को सौंप रही है. वैसे भी केजरीवाल का नारा 'केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद' हिट हुआ है. अब ऐसे ही आसार नजर आ रहे हैं. केजरीवाल मैजिक, मोदी मैजिक पर ग्रहण बनकर उभर रहा है.
क्या खत्म होने लगा है कांग्रेस का वजूद?
दिल्ली में कांग्रेस का वजूद अरविंद केजरीवाल धीरे-धीरे खत्म कर रहे हैं. कांग्रेस के एक भी विधायक न तो विधानसभा में हैं, न एक भी सांसद लोकसभा में. बीजेपी की लड़ाई दिल्ली में सिर्फ AAP से है. सियासी लड़ाई में कांग्रेस बेहद कमजोर पड़ गई है. कांग्रेस का उद्धार न तो राहुल गांधी कर पा रहे हैं, न ही कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे. ऐसा लग रहा है कि अब चुनाव पार्टी नहीं, उम्मीदवार जीतेंगे. कांग्रेस का हाल बेहाल है. AAP कांग्रेस वोटरों को अपनी तरफ खींचने में कामयाब रही है. दिल्ली में तो कांग्रेस का वजूद ही खत्म होता नजर आ रहा है. एमसीडी चुनावों में कांग्रेस दहाई के आंकड़े से भी दूर नजर आ रही है.
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