डीएनए हिन्दी: आजमगढ़ लोकसभा (Azamgarh Lok Sabha) के उपचुनाव में बीएसपी (BSP) दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की फिराक में है. पार्टी ने गुड्डु जमाली (Guddu Jamali) को मैदान में उतारा है. अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो बीएसपी 2024 के चुनाव में इसी फॉर्म्यूले को लागू कर सकती है.
बीएसपी ने रामपुर सीट छोड़कर भले ही आजम खान के प्रति सहानुभूति दिखाई हो, लेकिन आजमगढ़ में अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ी दी हैं. बीएसपी ने आजमगढ़ संसदीय सीट पर शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित गठजोड़ का बड़ा दांव खेला है. भाजपा ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को उतारा है. अखिलेश ने पूर्व बदायूं सांसद और चचेरे भाई धर्मेंन्द्र को मैदान में उतारा है.
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बीएसपी के एक नेता ने बताया कि बीएसपी रामपुर चुनाव नहीं लड़ रही है. उसका फोकस आजमगढ़ सीट पर है. मायावती (Mayawati) की पूरी कोशिश है कि इस बार दलित और मुस्लिम के गठजोड़ को मजबूत कर आगे आने वाले चुनाव की रूपरेखा तय होगी.
बीएसपी नेता का दावा है कि पूरी ताकत आजमगढ़ में झोकी गई है और मण्डल में प्रभावी नेताओं की ड्यूटी लगायी गई है. इसके साथ ही प्रदेश कार्यालय से लगातार निगरानी हो रही है. इसके अलावा जिन जाति के नेताओं का प्रभाव ज्यादा उन्हें भी तैनात किया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर पार्टी का प्रयोग सफल हुआ तो 2024 में इसे फॉर्म्यूले को लागू किया जाएगा. इसी कारण पार्टी मुखिया मायावती बार-बार मुस्लिमों को अपने पाले में लाने के लिए बयान भी दे रही हैं.
वर्ष 2019 में एसपी-बीएसपी (SP and BSP) का गठबंधन था, जिसमें अखिलेश यादव को 6.21 लाख और बीजेपी के दिनेश लाल यादव को 3.61 लाख और सुभासपा को 10 हजार से अधिक वोट मिले थे.
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Azamgarh Bypoll: दलित-मुस्लिम समीकरण के भरोसे अखिलेश को उनके ही 'गढ़' में हराने की तैयारी