डीएनए हिंदी: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) को मैनपुरी और रामपुर उपचुनाव के नतीजे रास नहीं आए हैं. उन्होंने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की जीत और रामपुर विधानसभा उपचुनाव में हार भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत पर कुछ ऐसा कहा है, जिस पर कोई यकीन नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे चुनावी नतीजे आंतरिक मिलीभगत की वजह से आए हैं. उन्होंने मुस्लिम समुदाय को सपा-बीजेपी के खिलाफ आगाह किया है.
मायावती ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए जिसमें उन्होंने 8 दिसंबर को आए चुनावी नतीजों पर अपनी राय रखी है. मायावती ने कहा, 'यूपी के मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की हुई जीत किन्तु रामपुर विधानसभा उपचुनाव में आज़म ख़ान की ख़ास सीट पर योजनाबद्ध कम वोटिंग करवा कर सपा की पहली बार हुई हार पर यह चर्चा काफी गर्म है कि कहीं यह सब सपा व भाजपा की अन्दरुनी मिलीभगत का ही परिणाम तो नहीं?'
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'मुस्लिम समाज को इस बारे में है सोचने की जरूरत'
मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'इस बारे में खासकर मुस्लिम समाज को काफी चिन्तन करने व समझने की भी जरूरत है ताकि आगे होने वाले चुनावों में धोखा खाने से बचा जा सके. खतौली विधानसभा की सीट पर भाजपा की हुई हार को भी लेकर वहां काफी सन्देह बना हुआ है, यह भी सोचने की बात है.'
मायावती ने क्यों दी मुसलमानों को नसीहत?
रामपुर को मुस्लिम मतादाताओं का गढ़ कहा जाता है. इस विधानसभा सीट पर आजम खान का दबदबा रहा है. इसी सीट से भारतीय जनता पार्टी आकाश सक्सेना ने 30 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है. ऐसा पहली बार है जब किसी गैर-मुस्लिम प्रत्याशी ने यहां से जीत दर्ज की हो. मायावती को यह रास नहीं आया है.
मायावती इस नतीजे पर मुस्लिम समुदाय को सोचने की सलाह दी है. बसपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों में 88 मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था. वह मुस्लिम-दलित गठजोड़ के सहारे अपना सियासी अस्तित्व बचाना चाहती हैं, यही वजह है कि उन्होंने मुस्लिमों को एक बार फिर आगाह किया है.
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2. इस बारे में ख़ासकर मुस्लिम समाज को काफी चिन्तन करने व समझने की भी ज़रूरत है ताकि आगे होने वाले चुनावों में धोखा खाने से बचा जा सके। खतौली विधानसभा की सीट पर भाजपा की हुई हार को भी लेकर वहाँ काफी सन्देह बना हुआ है, यह भी सोचने की बात है।
— Mayawati (@Mayawati) December 11, 2022
रामपुर में से डिंपल यादव ने चुनाव जीता है. मायावती इस बात की ओर भी इशारा कर रही हैं कि यहां से बीजेपी ने कमजोर प्रत्याशी उतारा जिससे डिंपल यादव को जीत मिली है. सपा के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने खतौली उपचुनाव जीता और उसके उम्मीदवार मदन भैया ने बीजेपी की राजकुमारी सैनी को 22,000 मतों से हराया.
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यूपी में खत्म हो गई है मायावती की सियासत
बहुजन वोटरों पर मजबूत पकड़ रखने वाली मायवती की लोकप्रियता यूपी में खतरे में है. साल 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्हें सिर्फ एक सीट हासिल हुई है. बसपा ने यूपी विधानसभा चुनाव में 88 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया.
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यूपी उपचुनावों के बहाने मुस्लिम समाज को सोचने की नसीहत क्यों दे रही हैं मायावती?