डीएनए हिन्दी: इन दिनों मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ (Bandhavgarh) नेशनल पार्क में एक अनोखी प्रेम कहानी चल रही है. जंगली हाथी सलीम को पार्क की पालतू हथिनी अनारकली से दिल दे बैठा है. दो बार जंगली हाथी ने कैम्प में घुसकर अनारकली को भगाने का किया प्रयास, लेकिन हर बार प्रबंधन की चौकसी के आगे जंगली हाथी की प्रयास विफल हुआ. ध्यान रहे बांधवगढ़ की सबसे महत्वपूर्ण पालतू हथिनी है अनारकली.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बार फिर 'मुगले आजम' की कहानी दोहराई जा रही है. बस इस कहानी में सलीम और अनारकली तो वन्य जीव हैं, वहीं, मुगले आजम की भूमिका पार्क प्रबंधन निभा रहा है.
दरअसल बांधवगढ़ में 2018 से जंगली हाथियों ने अपना ठिकाना बना लिया है. टाइगर रिजर्व में पहले से नर और मादा मिलाकर कुल 14 पालतू हाथी मौजूद हैं. ये हाथी पार्क प्रबंधन के साथ वन एवं वन्य जीव सरंक्षण में कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं.
हाथी सलीम को हथिनी अनारकली से हुआ प्यार, कई बार की भगाकर ले जाने की कोशिश. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की इस अनोखी लव स्टोरी की खूब हो रही चर्चा #MadhyaPradesh #Bandhavgarh pic.twitter.com/wHkE7RkxN7
— DNA Hindi (@DnaHindi) August 30, 2022
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जंगली हाथियों का बांधवगढ़ के जंगलों में विचरण बीते चार सालों से है. इनका कई बार पार्क के पालतू हाथियों से आमना-सामना होता रहा है. पार्क प्रबंधन के मुताबिक, जब जंगली और पालतू हाथी आमने-सामने होते हैं तो सामान्य व्यवहार होता है. लेकिन, बीते एक महीने से एक जंगली हाथी जिसको पार्क प्रबंधन ने सलीम का नाम दिया है, पार्क की सबसे मशहूर हथिनी अनारकली के इश्क में डूबा हुआ है. वह बराबर पार्क प्रबंधन के द्वारा बनाए गए हाथियों के कैम्प में पंहुच जाता है और अनारकली हथिनी को पीछे से धक्का मारते हुए जंगल की ओर धकेलते हुए ले जाता है. यह घटनाक्रम कई बार हो चुका है.
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पार्क के अधिकारी जानकारी मिलने के बाद अनारकली को ढूंढते हैं और फिर मशक्कत के बाद उसे वापस कैम्प ले आते हैं. वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमे एक ही प्रजाति के दो विपरीत जेंडरों के बीच आकर्षण होता है. यही वजह है कि जंगली हाथी सलीम को बांधवगढ़ की पालतू हथिनी अनारकली भा गई है.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के एसडीओ सुधीर मिश्रा बताते हैं कि पुराने हाथियों में गौतम के बाद अनारकली का नाम आता है. अनारकली का जन्म 1964 में हुआ था. 1978-79 में बिहार के सोनपुर मेला से पार्क प्रबंधन ने इसे खरीदा था. 2012 से लेकर अब तक अनारकली ने 4 बच्चों को जन्म दिया है. 2012 में सूर्या (नर), 2015 में गणेश (नर), 2018 में लक्ष्मी (मादा) और 2021 में गायत्री(मादा) को जन्म दिया है.
बांधवगढ़ के पालतू हाथियों की संख्या की बात करें तो इनकी संख्या बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान अनारकली का है और यही वजह है कि पार्क प्रबंधन अनारकली को सुरक्षित अपने अधीन रखना चाह रहा है. अनारकली में वंश वृद्धि की और संभावनाएं हैं. यही वजह है कि अनारकली को जंगली हाथियों के साथ पार्क प्रबंधन नहीं जाने देना चाहता है.
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बांधवगढ़ में चल रही एक अनोखी प्रेम कहानी, पढ़ें- 'सलीम-अनारकली' की लव स्टोरी!