डीएनए हिंदी: आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में बीजेपी की जीत प्रदेश की राजनीति के लिहाज से बड़ी बात है. आजमगढ़ की सीट से खुद अखिलेश यादव लोकसभा सांसद थे जबकि रामपुर से आजम गढ़ सांसद थे. दोनों दिग्गज नेताओं ने विधानसभा चुनाव छोड़ने के बाद सीट छोड़ी थी और बीजेपी ने इस पर कब्जा जमा लिया है. आजमगढ़ से खुद एसपी सुप्रीमो के चचेरे भाई खड़े थे लेकिन जीत भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल निरहुआ की हुई है. 5 पॉइंट में समझिए बीजेपी ने कैसे छीनी एसपी से 2 सीटें.
कोर वोट में सेंधमारी
आजमगढ़ और रामपुर में एसपी के कोर वोट में सेंधमारी हुई है और यह नतीजों में नजर आ रहा है. मुस्लिम-यादव कोर वोट बैंक में सेंधमारी को एसपी नहीं भांप पाई और नतीजा सामने है. रामपुर में 50% से अधिक मुस्लिम, आजमगढ़ में 40% एम-वाई वोटर हैं. मुस्लिमों की नाराजगी व उदासीनता एसपी समझ नहीं सकी और आजमगढ़ में जमाली ने मुस्लिमों के वोट बटोरे हैं. कोर वोट छिटकने की वजह से एसपी को बड़ा नुकसान हुआ है.
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Akhilesh Yadav की उदासीनता
आजमगढ़ और रामपुर में बीजेपी ने जोश के साथ चुनाव लड़ा था जबकि समाजवादी पार्टी आंतरिक कलह से ही जूझती रही है. सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव अपनी पसंद के उम्मीदवार को आजमगढ़ से टिकट नहीं दिला सके और इससे वह खासे नाराज थे. उपचुनाव के लिए उनकी उदासीनता इससे ही समझी जा सकती है कि उन्होंने खुद कोई रैली नहीं की और न ही आक्रामक अंदाज में चुनाव प्रचार किया था. इस वजह से कार्यकर्ताओं का उत्साह भी ठंडा पड़ गया और पार्टी को दोनों सीटें गंवानी पड़ी हैं.
PM Modi- CM Yogi की डबल लोकप्रियता है कायम
प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता अपने चरम पर है. विधानसभा नतीजों में भी यह स्पष्ट दिखा है और उपचुनाव में भी जनता ने उस पर मुहर लगाई है. पीएम और सीएम की जुगलबंदी और डबल इंजन की सरकार जैसे जुमले बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब रहे हैं.
बुलडोजर एक्शन ने बनाया माहौल
इसके अलावा, नूपुर शर्मा टिप्पणी विवाद के बाद सीएम योगी ने जिस प्रशासनिक कुशलता का परिचय दिया है और प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखी है उससे जनता में स्पष्ट और अनुकूल संदेश गया है. जनता तक बीजेपी यह संदेश पहुंचाने में कामयाब रही है कि बीजेपी की सरकार में कानून-व्यवस्था हमेशा दुरुस्त रहती है. साथ ही, केंद्र और राज्य की लाभार्थी योजनाओं ने बड़े तबके को गहराई से प्रभावित किया है.
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चुनाव मैनेजमेंट में फेल रही सपा
उपचुनाव में प्रबंधन में समाजवादी पार्टी जहां पूरी तरह से फेल रही है वहीं बीजेपी ने सधी हुई रणनीति अपनाई थी. सपा ने उम्मीदवारों के चयन में ही देरी की थी और फिर प्रबंधन में कमी ने बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को निराश किया था. नामांकन के आखिरी दिन प्रत्याशी घोषित किए गए जबकि आजमगढ़ से पहले प्रत्याशी घोषित कर नाम वापस लेने से भी वोटरों के एक तबके में नाराजगी उपजी. रामपुर में भी भ्रम की स्थिति रही और चुनाव प्रचार आजम खान के जेल से आने के बाद ही शुरू हो सका लेकिन वह पूरी रफ्तार नहीं पकड़ सका था.
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यूपी उचपुनाव: अपने ही गढ़ में मात खा गए अखिलेश, 5 पॉइंट में समझें बीजेपी की जीत की कहानी