डीएनए हिन्दी: कर्नाटक के चित्रादुर्गा के मुरुघा राजेन्द्र मठ में इस समय एक अजीब सी खामोशी है. हालांकि, मठ के अंदर की सामान्य गतिविधियां चल रही हैं. बाहर पुलिस और पत्रकार मौजूद हैं. संख्या भले ही कम हो लेकिन अनुयायियों का आना अभी भी जारी है. लोग इस विषय पर जयदा बात करना नहीं चाह रहे हैं.
ध्यान रहे पिछले 30 सालों से इस मठ को मानने वाले अनुयायियों के लिए स्वामी डॉक्टर शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू पर लगे आरोप सभी को चौंका रहे हैं. अगर ये आरोप सही साबित हुए तो 17वीं शताब्दी में स्थापित इस मठ की प्रतिष्ठा काफी नुकसान पहुंचेगा.
स्वामी शिवमूर्ति की सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में की गई गतिविधियों से कर्नाटक के सभी लोग वाकिफ हैं. आज तक किसी ने स्वामी शिवमूर्ति पर कभी उंगली नहीं उठाई. लेकिन, पिछले एक हफ्ते में ऐसा क्या हो गया कि मठ के परिसर में ही मौजूद हाई स्कूल की नाबालिग छात्राओं ने उन पर ऐसा घृणित आरोप लगा दिया है. मठ में जो लोग स्वामी को मानते है उनके लिए यह एक षड्यंत्र है. हालांकि, इसके पीछे कौन हैं इस पर कोई चर्चा करने को तैयार नहीं है.
चित्रदुर्गा के आम लोगों की निगाह में सच जो भी हो सामने आना चाहिए. स्वामी शिवमूर्ति के सामाजिक कार्यों की सभी प्रशंसा करते हैं लेकिन उनका मानना है कि लड़कियों के साथ भी न्याय होना चाहिए.
ध्यान रहे कि गुरुवार की रात गिरफ्तारी के बाद स्वामी शिवमूर्ति से पूछताछ हुई. इसके बाद उन्हें मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. स्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. तड़के उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की इसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. सूचना के मुताबिक स्वामी को बेंगलुरु अस्पताल में शिफ्ट किया जा सकता है.
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इस मामले का एक बड़ा पहलू कर्नाटक प्रदेश की राजनीति है. कर्नाटक में लिंगायत समाज का 17 फीसदी वोट बैंक है जो पारंपरिक रूप से बीजेपी के पक्ष में जाता है. यही वजह है कि बी. एस. येदियुरप्पा आरोप लगने के बाद भी स्वामी के पक्ष में खड़े आए.
लिंगायत समुदाय से ही आने वाले मुख्यमंत्री भी इस विषय पर किसी प्रकार की टिपण्णी करने से बच रहे हैं. मुख्यमंत्री कह रहे है कि इस विषय पर टिप्पणी करना उचित नहीं है. पुलिस को खुली छूट दी गई है वह अपना काम कर रही है.
विपक्ष में बैठी कांग्रेस भी खामोश है. अभी कुछ ही दिन हुए जब राहुल गांधी ने इसी शिवमूर्ति मुरुगा शरणारू से लिंगायत की दीक्षा ली थी.
गौरतलब है कि कर्नाटक में धार्मिक मठों का विशेष महत्व है. लिंगायत मठ हो या वोकालिगा या कोई और मठ, सभी चुनाव प्रक्रिया में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में हर विषय पर टिप्पणी करने वाले राजनीतिक दल कोई भी हो, मठ के मामलों में खामोशी को ही बेहतर विकल्प मानते हैं.
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स्वामी शिवमूर्ति के मुरघा मठ में गजब की खामोशी, जानें, इस सन्नाटे के पीछे का कारण