डीएनए हिंदी: टेरर फंडिंग के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Kashmiri separatist leader Yasin Malik) को मृत्युदंड दिए जाने अनुरोध राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने किया है. मलिक की सजा पर बुधवार को बहस पूरी हो गई है.
सभी आरोपों को स्वीकार चुका था यासीन मलिक
यासीन मलिक ने माना था कि वह आतंकी गतिविधियों में लिप्त था. उसने यह भी अदालत में कुबूल किया था कि वह आपराधिक साजिशों में शामलि रहा है. उसके खिलाफ लगाई गई देशद्रोह की धाराएं सही हैं. यासीन मलिक ने सुनवाई की आखिरी तारीख पर अदालत के सामने कहा था कि वह धारा 16, 17, 18 और यूएपीए की धारा 20 और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 124-ए सहित अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के खिलाफ केस नहीं लड़ेगा.
यासीन मलिक के अलावा कश्मीरी अलगाववादियों फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल, बशीर अहमद बट, जहूर अहमद शाह वटाली, शरीब अहमद शाह, अब्दुल रशीद शेख और नवल किशोर कपूर के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए गए थे.
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यासीन मलिक पर कौन-कौन से आरोप लगे
चर्चित रुबैया सईद किडनैपिंग केस में भी यासीन मलिक का हाथ बताया जाता है. साल 1990 में श्रीनगर के रावलपोर में कुछ आतंकियों ने एयरफोर्स के जवानों पर हमला कर दिया था. स घटना में एयरफोर्स के चार जवान शहीद हुए थे. यासीन मलिक पर आरोप लगा कि वह इन जवानों पर हुए हमले में शामिल था और उसी की साजिश के तहत जवानों को मार डाला गया. एक इंटरव्यू में खुद यासीन मलिक ने भी इन बातों को स्वीकार किया था.
यासीन मलिक के खिलाफ UAPA की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (टेरर फंडिंग), धारा 18 (आतंकी साजिश रचने) और धारा 20 (आतंकी संगठन का सदस्यन होने) के साथ-साथ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और देशद्रोह की धारा 124-ए का मुकदमा चल रहा है.
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Yasin Malik की सजा पर बहस पूरी, NIA ने की फांसी की मांग, थोड़ी देर में फैसला