डीएनए हिंदी: हर साल दुनियाभर में 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) के रूप में मनाया जाता है. 19 साल पहले इसकी शुरूआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने बाल श्रम को रोकने के लिए की गई थी. इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य बच्चों से मजदूरी ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने और आगे बढ़ाने के लिए जागरूक करना है.लेकिन कोरोना काल के दौरान 2021 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 16 करोड़ बच्चे बाल श्रम की चपेट में हैं.
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मौजूदा महामारी की वजह से लाखों बच्चों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों के साथ-साथ दुनियाभर में लाखों लोगों को हर साल बाल श्रमिक को रोकने के लिए जागरूक किया जाता है, फिर इनकी तादाद बढ़ती जा रही है. बच्चों की मदद के लिए कई कैंपेन भी चलाए जाते हैं. कई बच्चे ऐसे हैं जो बहुत छोटी उम्र में अपना बचपन खो देते हैं.
हर साल रखी जाती है अलग थीम
आईएलओ ने बाल श्रम की वैश्विक सीमा और इसे खत्म करने के लिए आवश्यक कार्रवाई और प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की शुरूआत की थी. विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर हर साल नई थीम रखी जाती है. 2021 में इसकी थीम 'कोरोना वायरस के दौर में बच्चों को बचाना' रखी गई थी. 2020 में 'बच्चों को कोविड-19 महामारी' और 2019 में 'बच्चों को खेतों में काम नहीं, बल्कि सपनों पर काम करना चाहिए' थी.
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152 मिलियन बच्चे करते हैं मजदूरी
कोरोना महामारी के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न हुई. इससे बहुत लोगों की जिंदगी पर असल पड़ा और इस वजह से काफी बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई.ऐसी स्थिति में बहुत बच्चों को बाल श्रम में धकेला गया. ILO की एक रिपोर्ट के अनुसार, 152 मिलियन बच्चे मजदूरी करते हैं, जिसमें से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं. इनमें निर्माण कार्य, खेती, माइंस और फैक्ट्रियों में काम करते हैं.
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World Day Against Child Labour: विश्व बाल श्रम दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें इसका इतिहास