डीएनए हिंदी: देश में जैसे -जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे बिजली की खपत में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में अब पावर कट (Power Cut) की समस्या होने लगी है. देश के सभी प्रमुख पावर ग्रिडों पर बिजली आपूर्ति का दबाव है जिसके चलते वो अब हांफने लगे हैं. ऐसे में आपूर्ति कम होने और कटौती के पीछे कोयले की कमी होने का तर्क दिया जाता है लेकिन इसके पीछे कोई औऱ बड़ा कारण है जो कि बिजली विभागों से भी जुड़ा हुआ है.
क्या है ज्यादा बिजली कटौती की वजह
दरअसल, इस क्षेत्र की कंपनियों को भुगतान की समस्या से जूझना पड़ रहा है. कोयला उत्पादन करने वाली सरकारी कंपनी कोल इंडिया का बिजली उत्पादक कंपनियों पर 12,300 करोड़ रुपये बकाया है. इसके बावजूद कोल इंडिया बिजली उत्पादक कंपनियों को कोयला बेच रही है. इसी तरह, बिजली उत्पादन कंपनियों का बिजली वितरण कंपनियों पर 1.1 लाख करोड़ रुपये का बकाया है.
इतनी बड़ी राशि का भुगतान नहीं होने के बावजूद उन्हें उन्हीं कंपनियों को बिजली बेचनी पड़ रही है. ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती. बिजली वितरण कंपनियों का घाटा बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है. कई राज्यों की सरकारों ने मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है. इसका असर इन कंपनियों पर सीधे तौर पर पड़ रहा है जबकि उसके मुकाबले टैरिफ बढ़ाने में उन्हें तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.
पैसे का भुगतान न होना है बड़ी दिक्कत
कंपनियों से इस बकाया पेमेंट संकट का ही असर पूरी सप्लाई चेन पर पड़ रहा है. इसकी कड़ियां एक-दूसरे से जुडी हुई हैं. न तो कोल क्राइसिस और न ही पावर क्राइसिस की वजह से बिजली कटौती हो रही है. इसकी असल वजह पेमेंट क्राइसिस ही मानी जा रही है.
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अभी और बढ़ेगी खपत
इस बीच, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि 26 अप्रैल को बिजली की मांग बढ़कर अपने सर्वोच्च स्तर 201 गीगावाट पर पहुंच गई. बिजली की मांग पहले कभी इस स्तर पर नहीं पहुंची थी. मई-जून में इसके बढ़कर 215-220 गीगावट पर पहुंचने का मंत्रालय ने अनुमान लगाया है. इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि अभी आने वाले मई जून की चिलचिलाती गर्मी में यह बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर जाएगी और ऐसे में बिजली की भारी कटौती देखने को मिल सकती है.
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