डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि गीता प्रेस किसी मंदिर से जरा भी कम नहीं है. यह एक भारत-श्रेष्ठ भारत की छवि को दिखाने वाला संस्थान है. यह भारत के मूल चिंतन को हर भाषा में जन-जन तक पहुंचाती है. प्रधानमंत्री मोदी ने गीता प्रेस की तारीफ करते हुए कहा कि यह विश्व का ऐसा एकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं बल्कि एक जीवंत आस्था है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, '1923 में गीता प्रेस के रूप में यहां जो आध्यात्मिक ज्योति प्रज्वलित हुई, आज उसका प्रकाश पूरी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है . हमारा सौभाग्य है कि हम सभी इस मानवीय मिशन की स्वर्ण शताब्दी के साक्षी बन रहे हैं. इस ऐतिहासिक अवसर पर ही हमारी सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'गांधी जी का गीता प्रेस से आध्यात्मिक जुड़़ाव था. गांधी जी ने सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापे जाएं, कल्याण पत्रिका आज भी गांधी जी के उस सुझाव का शत प्रतिशत अनुसरण कर रही है.'
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गीता प्रेस किसी मंदिर से कम नहीं, पीएम ने क्यों कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन-जन तक पहुंचाती है. गीता प्रेस एक तरह से 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिनिधित्व करती है. गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि, एक जीवंत आस्था है. गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी भी मंदिर से जरा भी कम नहीं है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'गीता प्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म और कर्म से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है. गीता प्रेस भारत को जोड़ती है, भारत की एकजुटता को सशक्त करती हैं. इसके नाम में भी गीता है, इसके काम में भी गीता हैं. जहां गीता है वहां साक्षात कृष्ण हैं. जहां कृष्ण हैं वहां करूणा भी है, कर्म भी हैं.'
गीता प्रेस की तारीफ में क्या-क्या बोले पीएम मोदी?
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मुझे यह खुशी है कि आज यह पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है. यह देश की ओर से गीता प्रेस का सम्मान है, इसके योगदान का सम्मान है और इसकी सौ वर्षों की विरासत का सम्मान है. इन सौ वर्षों में गीता प्रेस ने करोड़ों-करोड़ किताबें प्रकाशित कर चुकी है. देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर हमें गीता प्रेस का स्टाल देखने को मिलता है. पन्द्रह अलग अलग भाषाओं में यहां से करीब 1600 प्रकाशन होते हैं. गीता प्रेस अलग अलग भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन जन तक पहुंचाती है. गीता प्रेस एक तरह से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना को प्रतिनिधित्व देती हैं.'
2. पीएम मोदी ने कहा, 'गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षो की यह यात्रा एक ऐसे समय में पूरी की है जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष मना रहा है और इस तरह के योग केवल संयोग नहीं होते हैं. 1947 के पहले भारत ने निरंतर अपने पुनर्जागरण के लिए अलग अलग क्षेत्रों में प्रयास किए. अलग अलग संस्थाओं ने भारत की आस्था को जगाने के लिए आकार लिया. इसी का परिणाम था कि 1947 आते आते भारत मन और मानस से गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने को पूरी तरह से तैयार था.'
3. पीएम मोदी ने कहा, 'सौ साल का पहले का ऐसा समय जब सदियों की गुलामी ने भारत की चेतना को धूमिल कर दिया था, अंग्रेजों के दौर में गुरुकुल परंपरा लगभग नष्ट कर दिए गए, ऐसे में स्वाभाविक था कि ज्ञान और विरासत लुप्त होने के कगार पर थे. हमारे पूज्य ग्रंथ गायब होने लगे थे. जो प्रिंटिंग प्रेस भारत में थे वह महंगी कीमत के कारण सामान्य आदमी की पहुंच से दूर थे और कल्पना करिए कि गीता और रामायण के बिना हमारा समाज कैसे चला रहा होगा.'
4. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'गीता प्रेस इस बात का भी प्रमाण है कि जब आपके उद्देश्य पवित्र होते हैं, आपके मूल्य पवित्र होते हैं, तो सफलता आपका पर्याय बन जाती है. मोदी ने कहा कि गीता प्रेस एक ऐसा संस्थान है जिसने हमेशा सामाजिक मूल्यों को समृद्ध किया है, लोगों को कर्तव्य पथ का रास्ता दिखाया है. गंगा जी की स्वच्छता की बात हो, योग विज्ञान की बात हो, पतंजलि योग सूत्र का प्रकाशन हो, आयुर्वेद से जुड़ा आरोग्य अंक हो, भारतीय जीवन शैली से लोगों को परिचित करवाने के लिए जीवनचर्या अंक हो. समाज में सेवा के आदर्शों को मजबूत करने के लिए सेवा अंग और दान महिमा हो... इन सब प्रयासों के पीछे राष्ट्र सेवा की प्रेरणा जुडी रही हैं राष्ट्र निर्माण का संकल्प रहा है.;
5. प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैंने लाल किले से कहा था कि यह समय गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर अपनी विरासत पर गर्व करने का समय है. इसलिए शुरुआत में भी मैने कहा कि आज देश विकास और विरासत दोनो को साथ लेकर चल रहा है. आज एक ओर भारत डिजिटल प्रौद्योगिकी में नए रिकॉर्ड बना रहा है तो साथ ही सदियों बाद काशी में विश्वनाथ धाम का दिव्य स्वरूप भी देश के सामने प्रकट हुआ है.'
गीता प्रेस को मिला है गांधी शांति पुरस्कार
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले एक निर्णायक मंडल ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 प्रदान करने की घोषणा की थी. केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1995 में स्थापित इस वार्षिक पुरस्कार के तहत एक करोड़ रुपये की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका तथा एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला या हथकरघा उत्पाद प्रदान किया जाता है. गीता प्रेस ने पुरस्कार राशि स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और कहा कि वह केवल प्रशस्ति पत्र ही स्वीकार करेगी.
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गोरखपुर पहुंचे थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को गोरखपुर पहुंचे थे. उन्होंने अपने दौरे को विकास भी-विरासत भी की नीति का उदाहरण बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गीता प्रेस के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया. (इनपुट: भाषा)
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'गीता प्रेस किसी मंदिर से जरा भी कम नहीं है,' पीएम नरेंद्र मोदी ने क्यों कही ये बात?