डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के मौके पर मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में 8 चीतों को छोड़ा. पीएम मोदी ने बटन दबाकर पिंजड़े का दरवाजा खोला और 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया. इन चीतों को अफ्रीका के नामीबिया (Namibia) से मंगवाया गया था. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि भारत सरकार ने नामीबिया के चीतों को ही क्यों चुना? ईरान से क्यों नहीं मंगवाए गए.
दरअसल, जब एक देश से दूसरे देश में जंगली जीवों का प्रत्यार्पण किया जाता है तो कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाता है. पहला कि जिस देश से चीता आ रहा है वहां का तापमान कैसा है. चीते उस वातावरण में रह पाएंगे या नहीं, रहने लायक जगह की स्थिति कैसी है. इसके अलावा चीतों का जेनेटिक्स कैसा है. व्यवहार कैसा है. उनकी उम्र सही है या नहीं. इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए भारत ने नामीबिया के चीतों को ही देश में लाने का फैसला किया. क्योंकि अफ्रीका और भारत के मौसम में ज्यादा फर्क नहीं है. दोनों देशों के तापमान लगभग समान ही रहता है. इसलिए इन चीतों को भारत में एडजस्ट करने में कोई परेशानी नहीं होगी.
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कुल 25 चीते आएंगे भारत
भारत सरकार ने अगले पांच साल तक चीतों के लिए नामीबिया से समझौता किया है. मोदी सरकार Project Cheetah के तहत कुल 25 चीते मंगवाएगी. सरकार ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. चीता प्रोजेक्ट से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में कुल 25 चीते लाए जाएंगे. नामीबिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से भी चीता लाने की तैयारी चल रही है. आठ चीते पहुंच गए हैं. इसी तरह अलग-अलग चरणों में 25 से ज्यादा चीते यहां लाएं जाएंगे.
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अगले महीने आ सकते हैं 12 चीते
चीता प्रोजेक्ट के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाए जा रहे हैं, जिनके लिए प्रक्रिया अंतिम स्तर पर पहुंच चुकी है. दक्षिण अफ्रीका के Wild Life Experts की टीम पिछले सप्ताह कूनो-पालपुर नेशनल पार्क का निरीक्षण करने के लिए यहां पहुंची थी. यह टीम 9 सितंबर को वापस गई है.
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भारत सरकार ने नामीबिया के चीतों को ही क्यों चुना? इसके पीछे क्या है बड़ा कारण