डीएनए हिंदी: तमिलनाडु में डायरेक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन (DAVC) की एक टीम ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक अधिकारी को रंगे हाथ घूस लेते हुए गिरफ्तार किया है. अधिकारी का नाम अंकित तिवारी है. मदुरई में पुलिस और DAVC की टीम जगह-जगह रेड डाल रही है. शुक्रवार रातभर प्रवर्तन निदेशालय के सब-जोनल कार्यालय में अधिकारी रेड डाल रहे हैं. अंकित तिवारी पर आरोप है कि वे डिंडीगुल जिले में शुक्रवार को एक डॉक्टर से ₹20 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े गए हैं. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है.
डीएवीसी अधिकारियों का दावा है कि अंकित तिवारी, ईडी अधिकारियों की अपनी टीम के साथ, प्रवर्तन निदेशालय में उनके मामले को बंद करने के नाम पर कई लोगों को धमकी दे रहे थे और रिश्वत ले रहे थे. डिंडीगुल में हिरासत में लिए जाने के बाद, डीवीएसी अधिकारियों की एक टीम ने मदुरै में उप-क्षेत्र ईडी कार्यालय में 'पूछताछ' की है. राज्य पुलिसकर्मी ईडी कार्यालय के बाहर लगातार पहरा दे रहे हैं.
मदुरई में केंद्रीय एजेंसी के कार्यालय में डीवीएसी अधिकारियों के पहुंचने के बाद, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों को अधिकारियों द्वारा ईडी कार्यालय के अंदर सुरक्षा कारणों से तैनात किया था. डीवीएसी अधिकारियों ने उसे डिंडीगुल में ₹20 लाख कैश के साथ पकड़ा है. डीवीएसी ने मदुरै में ईडी कार्यालय की भी तलाशी ली है.
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कौन हैं ईडी अधिकारी अंकित तिवारी?
अंकित तिवारी 2016 बैच के अधिकारी हैं और पहले गुजरात और मध्य प्रदेश में सेवा दे चुके हैं. डीवीएसी चेन्नई द्वारा जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, अंकति तिवारी केंद्र सरकार के मदुरई स्थित ED कार्यालय में एक प्रवर्तन अधिकारी के पद पर तैनात हैं. अक्टूबर में, अंकित तिवारी ने डिंडीगुल के एक सरकारी डॉक्टर से संपर्क किया था. उस जिले में उनके खिलाफ दर्ज एक विजिलेंस केस का जिक्र किया था. यह केस पहले ही सेटल हो चुका था. इसी को निपटाने के नाम पर उन्होंने डॉक्टर से घूस लिया था.
डीवीएसी का आरोप है कि अंकित तिवारी ने डॉक्टर से कहा था कि उन्हें एक्शन लेने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से निर्देश मिले हैं. अधिकारी ने सरकारी डॉक्टर को 30 अक्टूबर को मदुरई में ईडी कार्यालय के सामने पेश होने के लिए कहा है.
डीवीएसी ने क्या-क्या लगाए हैं आरोप?
-डीवीएसी ने आरोप लगाया है कि जब डॉक्टर मदुरई पहुंचे तो अंकित तिवारी ने मामले में कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए उनसे ₹3 करोड़ का भुगतान करने को कहा. बाद में, उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने वरिष्ठों से बात की है और उनके निर्देशों के अनुसार, वह रिश्वत के तौर पर 51 लाख रुपये लेने के लिए सहमति दी है.
-1 नवंबर को डॉक्टर ने उन्हें रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 20 लाख रुपये दिए थे. बाद में, अंकित तिवारी ने व्हाट्सएप कॉल और टेक्स्ट के जरिए अधिकारी को धमकाया कि 51 लाख रुपये दे वरना नतीजा बुरा होगा. सरकारी डॉक्टर ने गुरुवार को डिंडीगुल जिला सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक इकाई में शिकायत दर्ज कराई.
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-शुक्रवार को डीवीएसी के अधिकारियों ने अंकित तिवारी को शिकायतकर्ता से रिश्वत के रूप में 20 लाख रुपये लेने के बाद पकड़ लिया. इसके बाद, उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सुबह 10.30 बजे गिरफ्तार कर लिया गया.
-अधिकारियों ने भ्रष्टाचार से जुड़े कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं. अब यह पता करने की कोशिश की जा रही है कि कितने और लोग इस अधिकारी के शिकार हो चुके हैं. शिकायतकर्ता 2018 में दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंस गया था. डॉक्टर को विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ा था हालांकि, नवंबर की शुरुआत में, उन्हें ईडी के मदुरई कार्यालय ने तलब किया था.
-डीएवीसी ने अपने बयान में कहा है कि अन्य ईडी अधिकारियों की संभावित संलिप्तता का पता लगाने के लिए भी जांच की जाएगी. जांच अधिकारी मदुरई में अंकित तिवारी के आवास और उनके ईडी कार्यालय पर तलाशी ले रहे हैं. अंकित तिवारी से जुड़े परिसरों की भी तलाशी ली जाएगी.
क्या राजनीतिक है ये मामला?
अंकित तिवारी की गिरफ्तारी ऐसे वक्त में हुई है जब तमिलनाडु सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले अपने अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को उत्पीड़ित करने के लिए ईडी और आयकर विभाग का उपयोग करने का आरोप लगाया है. ईडी ने गिरफ्तारी पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. केस की छानबीन जारी है.
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कौन है अंकित तिवारी जिसकी गिरफ्तारी से ED पर उठे सवाल