डीएनए हिंदीः हर साल 2 फरवरी को वर्ल्ड वेटलैंड डे के रुप में मनाया जाता है. वेटलैंड यानी आर्द्रभूमि जहां वर्षभर आंशिक या पुर्णरूप से जल भरा रहता है. यह भूमि मनुष्य के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. 1971 में इसी दिन ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया था इसलिए हर वर्ष 2 फरवरी को वेटलैंड डे मनाया जाता है. इस साल वेटलैंड डे की थीम वेटलैंडस् एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर रखी गई है. 2021 में वेटलैंड डे की थीम वेटलैंडस् और वॉटर रखी गई थी.
वेटलैंड है क्या
वेटलैंड यानी नमभूमि या आद्रभूमि. जमीन का वह हिस्सा जहां पानी और भूमि आपस में मिलते हो उसे वेटलैंड कहा जाता है. ऐसी भूमि पर वर्षभर आंशिक या पुर्णरुप से जल भरा रहता है. हर साल 2 फरवरी को वर्ल्ड वेटलैंड डे मनाया जाता है जिसका उद्देश्य उन आर्द्र क्षेत्रों पर प्रकाश डालना है, जो विलुप्त होने वाले हैं.
वर्ल्ड वेटलैंड डे का इतिहास
नदियों, झीलों, तालाबों आदि की खराब होती स्थिति को देखते हुए 2 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को अपनाया गया था. आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए रामसर कन्वेंशन किया गया था. वहीं 1975 में इस कन्वेंशन को लागू किया गया था. पहली बार वर्ल्ड वेटलैंड डे 2 फरवरी 1997 में मनाया गया था. जबकि भारत ने 1 फरवरी 1982 में संधि पर हस्ताक्षर किए थे.
रामसर कन्वेंशन क्या है
रामसर स्थल ऐसी आद्रभूमियां हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त हैं. इन्हें यूनेस्कों की रामसर कन्वेंशन के तहत अधिसूचित किया जाता है. ओडिशा की चिल्का झील भारत का पहला रामसर स्थल है. 2021 में भारत की 4 और आद्रभूमियों को रामसर स्थल की सूची मे शामिल किया गया था. विश्व में कुल 2400 से अधिक स्थलों को रामसर स्थल के रुप में मान्यता प्राप्त हैं. भारत में कुल 46 रामसर स्थल हैं.
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