डीएनए हिंदी: राज्यसभा के 12 सांसदों को सदन से शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. सभी निलंबित सांसद विपक्षी पार्टी के हैं. 11 अगस्त को मॉनसून सत्र के दौरान कुछ सांसदों ने हंगामा किया था जिसकी वजह से उन्हें निलंबित किया गया है. निलंबित सांसदों में 6 कांग्रेस, 2 तृणमूल कांग्रेस, 2 सांसद शिवसेना के और वाम दलों के 2 सांसद हैं.
सांसदों पर आरोप है कि इन्होंने मॉनसूत्र सत्र के अंतिम दिन सदन में अभद्र व्यवहार किया था जिसकी वजह से निलंबित किया गया है. निलंबित कांग्रेस सदस्यों में फुलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपन बोरा, राजमणि पटेल, सैंयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रसाद सिंह का नाम शामिल है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनोय विश्वम, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सदस्य इलामारम करीम को भी सस्पेंड किया गया है. तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई को भी संसद से निलंबित किया गया है.
मॉनसून सत्र के दौरान कुछ विपक्षी नेताओं ने जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (नेशनलाइजेशन) अमेंडमेंट बिल, 2021 पास होने के दौरान हंगामा किया था. सदन अध्यक्ष को उस वक्त मार्शल को बुलाना पड़ा था. दरअसल 29 नवंबर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 12 सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव सदन में सौंपा. सांसदों पर आरोप लगया गया कि इन्होंने सदन में दुर्व्यवहार किया था, हिंसात्मक रवैया अपनाया था और सुरक्षाकर्मियों पर जानबूझकर हमला बोला था.
किन नियमों के तहत सांसदों का हुआ निलंबन?
राज्य सभा के रूल 256 के तहत सांसदों का निलंबन हुआ है. नियम के मुताबिक एक सत्र से ज्यादा वक्त तक किसी को निलंबित नहीं किया जा सकता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि 20 सांसदों के खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई लेकिन एक्शन सिर्फ 12 सांसदों के खिलाफ लिया गया है. कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा राज्यसभा टीवी की फुटेज में रूल बुक फेंकते हुए भी नजर आए थे. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी रिपोर्टर टेबल पर खड़े हो गए थे. दोनों को सस्पेंड नहीं किया गया है.
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