Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 27 जनवरी से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की घोषणा की है. राज्य में सभी नागरिकों पर एकसमान कानून लागू करने की मांग लंबे समय से चल रही थी, जिसके चलते राज्य सरकार ने यूसीसी का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कराया था. इसके प्रावधान तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की गई थी, जिसने अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंप दी थी. इसके बाद से ही यूसीसी को लागू करने की घोषणा का इंतजार चल रहा था, जो अब 27 जनवरी को खत्म होने जा रहा है. राज्य सरकार ने यूसीसी में शादी-ब्याह समेत कई अहम मुद्दों पर समान नियम तय किए हैं, लेकिन इसकी एक खासियत सैनिकों के लिए 'प्रिविलेज्ड वसीयत' के प्रावधान की भी है, जिससे वे कठिन या जोखिम वाली परिस्थितियों में तैनाती के दौरान कुछ समय के लिए अपनी संपत्ति से जुड़ी घोषणा कर सकते हैं.
हाथ से लिखी वसीयत ही हो जाएगी मान्य
उत्तराखंड यूसीसी में सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक के लिए प्रिविलेज्ड वसीयत का प्रावधान दिया गया है. PTI-भाषा के मुताबिक, यह प्रावधान उन पर लागू होगा, जो सक्रिय सेवा में तैनात हैं. उत्तराखंड सैनिकों का राज्य है. सेना में राज्य के जवानों के इस उत्कृष्ट योगदान देने की परंपरा के तहत उन्हें इस तरह की वसीयत तैयार करने की छूट दी गई है, जिसमें वे अपनी वसीयत को सरल और लचीले नियमों के तहत भी तैयार कर सकते हैं. यह वसीयत हस्तलिखित, मौखिक रूप से निर्देशित या गवाहों के समक्ष शब्दशः प्रस्तुत की गई हो सकती है.
हाई-रिस्क कंडीशन में तैनाती के दौरान ज्यादा प्रभावी
प्रिविलेज्ड वसीयत के प्रावधान का मूल उद्देश्य ऐसे सैनिकों को अपनी संपत्ति का प्रबंधन तय करने की छूट देना है, जो हाई-रिस्क कंडीशन में तैनात हैं. इस तरह की वसीयत के चलते यदि ऐसी कंडीशन में सैनिक शहीद हो जाता है तो उसकी संपत्ति किसे मिलनी चाहिए, यह वो तय करके जा सकता है. इससे शहादत के बाद संपत्ति को लेकर होने वाले झगड़ों पर अंकुश लग जाएगा.
अपने हाथ से लिखेगा तो बिना हस्ताक्षर भी मान्य
यदि कोई सैनिक खुद अपने हाथ से वसीयत लिखता है, तो ऐसी वसीयत को हस्ताक्षर या साक्ष्य (अटेस्टेशन) की आवश्यक नहीं होगी, बशर्ते यह स्पष्ट हो कि वह दस्तावेज उसी की इच्छा से तैयार किया गया है. यदि कोई सैनिक मौखिक रूप से दो गवाहों के समक्ष अपनी वसीयत की घोषणा करता है तो उसे भी 'प्रिविलेज्ड वसीयत' माना जाएगा. यदि सैनिक एक माह बाद भी जीवित है और उसकी हाई-रिस्क तैनाती वाली कंडीशन खत्म हो चुकी है तो यह वसीयत 30 दिन बाद खुद ही अमान्य हो जाएगी. 'प्रिविलेज्ड वसीयत' को भविष्य में सैनिक द्वारा एक नयी ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ या साधारण वसीयत बनाकर रद्द या संशोधित भी किया जा सकता है.
कानून बनने के 10 महीने बाद लागू होगा यूसीसी
उत्तराखंड यूसीसी अधिनियम का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने तैयार किया था. 27 मई, 2022 को गठित समिति ने डेढ़ साल की मेहनत के बाद 2 फरवरी, 2024 को यह रिपोर्ट राज्य सरकार को दी थी, जिसे मार्च, 2024 को राज्य विधानसभा ने यूसीसी विधेयक के तौर पर पारित कर दिया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा से पारित विधेयक को 12 मार्च, 2024 को मंजूरी दे दी थी, जिसके साथ ही वह अधिनियम बन गया था. अधिनियम बनने के करीब 10 महीने बाद अब उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने जा रहा है. इसके बाद उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का ऐसा पहला राज्य होगा, जहां सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होगा.
(With PTI Inputs)
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उत्तराखंड में लागू हो रही समान नागरिक संहिता, जानें क्या है सैनिकों के लिए 'प्रिविलेज्ड वसीयत' नियम