डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा वक्त में राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) के लिए गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम सेठ की बेंच ने कहा कि कोर्ट न्यायिक समीक्षा में सशस्त्र बलों की जरूरत का अनुमान नहीं लगा सकती.
बेंच कहा है कि वे निगरानी के लिए जस्टिस (रिटायर्ड) एके सीकरी की अध्यक्षता में समिति गठित कर रही है जो सीधे कोर्ट को परियोजना के संदर्भ में रिपोर्ट देगी. करीब 900 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क परियोजना सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है जिसकी लागत में करीब 12 हजार करोड़ रुपये लग सकते हैं.
क्या है चारधाम प्रोजेक्ट?
चारधाम प्रोजेक्ट का मकसद उत्तराखंड की चार धार्मिक स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को लिंक करना है जहां किसी भी मौसम में पहुंचा जाए. बेंच ने अपने फैसले में साफ किया है कि निगरानी समिति (Oversight Committee) नए पर्यावरण आंकलन पर विचार नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट कहा कि निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का पूरा सहयोग दिया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय की अर्जी में कुछ भी दुर्भावनापूर्ण नहीं था. यह आरोप साबित नहीं हुआ कि इस आवदेन में मामले को प्रभावित करने या पिछले आदेश को बदलने की कोशिश की गई है.
रक्षा मंत्रालय पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सरकार की स्पेशल बॉडी, रक्षा मंत्रालय सशस्त्र बलों की परिचालन जरूरतों को लेकर फैसला करने के लिए अधिकृत है जिनमें जवानों की आवाजाही की सुविधा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरत भी शामिल है. समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय की जरूरतें इस बात से भी जाहिर हैं कि एसपीसी की बैठक में भी सुरक्षा चिंताओं के मुद्दे को उठाया गया था और उसपर चर्चा की गई थी. रक्षा मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर दोहरे लेन वाली सड़क की जरूरत संबंधी अपने रुख को कायम रखा है.
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सेना प्रमुख की ओर से सैनिकों की आवाजाही के लिए पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर साल 2019 में मीडिया में दिए गए साक्षात्कार का जिक्र किया है. रक्षा मंत्रालय के लगातार रुख के मद्देनजर मीडिया में दिए गए बयान पर भरोसा नहीं कर सकते हैं. रक्षा मंत्रालय के आंकलन के मुताबिक सुरक्षा चिंताए समय के साथ बदल सकती हैं.
मौजूदा वक्त में बढ़ी सुरक्षा की चुनौतियां
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत न्यायिक समीक्षा के दौरान सशस्त्र बलों की जरूरतों को लेकर दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है. याचिकाकर्ता का यह तर्क कि अदालत संस्थान से नीति को लेकर पूछताछ करे जिसे देश की रक्षा कानून के तहत सौंप गया है.
क्या है प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार का तर्क?
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अगर सेना मिसाइल लॉन्चर और भारी मशीनरी ही उत्तर की भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकेगी तो कैसे लड़ाई होने पर रक्षा करेगी. चारधाम राजमार्ग परियोजना से हिमालीय क्षेत्र में भूस्खलन (Landslide) को लेकर जताई गई चिंता को दूर करने की कोशिश करते हुए सरकार ने कहा कि आपदा को रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएंगे.
सड़क निर्माण की वजह से नहीं होता भूस्खलन: सुप्रीम कोर्ट
केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भूस्खलन होता है और यह विशेष तौर पर सड़क निर्माण की वजह से नहीं है. सुप्रीम कोर्ट 8 सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना को लेकर जारी 2018 के परिपत्र (Circular) में निर्धारित सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था.
यह सड़क तिब्बत की सीमा तक जाती है, जिस पर चीन का कब्जा है. रक्षा मंत्रालय ने अपनी अर्जी में अदालत से पूर्व के आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया था. साथ ही यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि ऋषिकेश से माना, ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरा के राजमार्ग को दो लेन में विकसित किया जा सकता है.
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