डीएनए हिंदी: Uttar Pradesh News- उत्तर प्रदेश पुलिस की एक महिला सिपाही ने 'लड़का' बनने के लिए लिंग परिवर्तन कराने की इजाजत मांगी है. महिला सिपाही ने इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में गुहार लगाई है. महिला सिपाही ने हाई कोर्ट से लिंग परिवर्तन ऑपरेशन (Gender Change Operation) कराने की इजाजत मांगी. महिला सिपाही की याचिका को यूपी के पुलिस महानिदेशक द्वारा खारिज करने के बाद अब हाई कोर्ट ने फिर से इस मामले में हस्तक्षेप किया है. हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए लिंग परिवर्तन को संवैधानिक अधिकार बताया है. साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को एक महीने के अंदर सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (Sex Reassignment Surgery) से जुड़े नियम बनाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार को एसआरएस (SRS) के लिए केंद्रीय कानून के हिसाब से अपने यहां कानून बनाना चाहिए. इस मामले में अब अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी
'पहचान बदलने का अधिकार छीनना मूल अधिकार का हनन'
हाई कोर्ट ने इससे पहले 18 अगस्त को महिला सिपाही नेहा सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने कहा था कि महिला सिपाही के लंबित प्रत्यावेदन पर राज्य सरकार अगली तारीख तक उचित निर्णय लेने का आदेश सक्षम प्राधिकारी (DGP) को दे. हाई कोर्ट ने कहा था, लिंग परिवर्तन कराना एक संवैधानिक अधिकार है. कोई व्यक्ति यदि आधुनिक समाज में अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित किया जाता है तो यह उसके मूल अधिकारों का हनन होगा.
राज्य सरकार ने दी आवेदन खारिज होने की जानकारी
राज्य सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सिपाही की अर्जी खारिज होने की जानकारी दी गई. इस पर सिपाही ने DGP के आदेश को चुनौती देने की अनुमति हाई कोर्ट से मांगी. हाई कोर्ट ने याचिका में संशोधन अर्जी पर इसकी मंजूरी दे दी. इसके बाद ही हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नियम बनाने के लिए कहा है.
'लिंग पहचान व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग'
हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा, इस फैसले में लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग माना गया है. हाई कोर्ट ने इसी आधार पर राज्य सरकार को लिंग परिवर्तन ऑपरेशन के लिए आवश्यक कानून एक महीने के अंदर बनाने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य में ऐसा कानून नहीं है तो सरकार केंद्रीय कानून के हिसाब से अपना अधिनियम बनाए.
क्या है पूरा मामला
महिला सिपाही नेहा सिंह ने हाई कोर्ट में खुद को जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित बताते हुए लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी. नेहा ने हाई कोर्ट को बताया कि उसके आवेदन पर DGP ने 11 मार्च, 2023 से अब तक कोई फैसला नहीं लिया है. इस कारण वह कोर्ट आई है. इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था. राज्य सरकार नेहा का मेडिकल परीक्षण भी करा चुकी है. यह परीक्षण लखनऊ PGI में 10 डॉक्टरों के पैनल ने 10 से 14 अक्टूबर तक किया था. इस परीक्षण की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिल चुकी है, जिसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किया जाना बाकी है.
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लड़का बनना चाहती है यूपी पुलिस की सिपाही, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को कहा 'एक महीने में बनाओ नियम'