डीएनए हिंदी: मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने को लेकर हो रही सुनवाई में कोर्ट ने खंडित फैसला सुनाया है. इस मामले में जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस हरिशंकर की राय अलग रही. उन्होंने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.

मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली HC के एक जज जस्टिस राजीव ने IPC 375 के उस अपवाद को असंवैधानिक करार दिया जिसके तहत शादीशुदा संबंधों में रेप अपराध के दायरे में नहीं आता था और पति के खिलाफ रेप का मुकदमा नहीं चलता था.दूसरे जज उनकी राय से सहमत नहीं है, जस्टिस हरि शंकर ने कहा कि वो राजीव शकधर की राय से सहमत नहीं है. वो नहीं मानते कि ये अपवाद असंवैधानिक है.

बता दें कि हाईकोर्ट ने इस मामले में फरवरी महीने में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जीवन में जबरन शारीरिक संबंध बनाने को अब तक कानून में अपराध नहीं माना जाता है.

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याचिका में की गई थी यह मांग
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि शादीशुदा जीवन में अगर किसी महिला के साथ उसका पति जबरन या उसकी मर्जी के खिलाफ संबंध बनाता है तो उसको मैरिटल रेप के दायरे में लाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने इस मामले में अलग-अलग देशों का उदाहरण दिया था. इसके अलावा यह भी कहा गया था कि अगर गैरशादीशुदा महिला से बिना मर्जी संबंध बनाना अपराध है तो शादीशुदा महिला को ये अधिकार क्यों नहीं मिल सकता.

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Two-judge bench of Delhi HC pronounces split verdict on criminalising marital rape
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मैरिटल रेप अपराध के दायरे में लाने को लेकर HC के जज एकमत नहीं, सुप्रीम कोर्ट जाए
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दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला
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दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

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Marital Rape अपराध के दायरे में लाने को लेकर HC के जज एकमत नहीं, सुप्रीम कोर्ट जाएगा मामला