भारत में कोरोना के चलते 29 करोड़ छात्रों की पढ़ाई प्रभावित, 14 करोड़ लड़कियां भी हुई दूर
डीएनए हिंदी: दुनिया में कोरोना वायरस के चलते अपूरणीय क्षति हुई है. नुकसान की लिस्ट में शिक्षा भी शामिल है. यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक, अकेले भारत में ही 29 करोड़ विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हुई हैं. इसमें 14 करोड़ लड़कियां भी शामिल हैं. ये आबादी दुनिया में कुल प्रभावित हुए छात्र-छात्राओं का सिर्फ 7.5 फीसदी है. यूनेस्को की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्कूल से ड्रॉपआउट हुई आधी से ज्यादा लड़कियों की पढ़ाई हमेशा के लिए छूट जाती हैं. भारत में पिछले 18 महीनों से ज्यादा समय से स्कूल बंद हैं. इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज जारी रही. ऑनलाइन क्लासेज की अपनी बहुत सी चुनौतियां हैं जिससे स्टुडेंट्स की पढ़ाई काफी प्रभावित हुई.
मिड डे मील से वंचित रहे स्टुडेंट्स
यह भी एक तथ्य है कि कोरोना की वजह से प्री-प्राइमरी और सेकंडरी लेवल के 11 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे अभी भी स्कूली शिक्षा से दूर हैं. दुनिया में महामारी के चलते औसतन 4.5 महीने के लिए बंद रहे. भारत में स्कूल बंद होने की वजह से स्टुडेंस 'मिड डे मील' से भी वंचित हुए जिससे उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ.
भारत में 73 जबकि रूस में 13 हफ्तों तक बंद रहे स्कूल
भारत में सबसे ज्यादा 73 हफ्तों तक जबकि ब्राजील में 69 हफ्तों तक स्कूल बंद रहे. अमेरिका में 62, पाकिस्तान में 60, कनाडा में 51 जबकि चीन में 27 हफ्तों तक स्कूल बंद रहे. रूस में सिर्फ 13 हफ्तों तक ही स्कूल बंद किए गए.
पंजाब में सिर्फ 1.6 फीसदी ड्रॉपआउट
भारत में कोरोना महामारी के चलते सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट 34.3 % अरुणाचल प्रदेश में हुआ जबकि पंजाब में सबसे कम 1.6 फीसदी है. त्रिपुरा, असम, मध्यप्रदेश, मेघालय, नागालैंड में सेंकडरी लेवल स्टूडेंट्स की ड्रापआउट रेट बढ़कर 25% से ज्यादा हो गई है. लॉकडाउन खत्म होने के बाद स्कूल खुलने के बाद बच्चों की उपस्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है.
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