डीएनए हिंदी: देश में कोविड महामारी (Covid Vaccine) के आंकड़े लगभग फ्लैट हो चुके हैं लेकिन महामारी अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. ऐसे में एहतियात के तौर 18 साल की उम्र से अधिक के लोगों को आज से प्रिकॉशन यानी बूस्टर डोज (Booster Dose) लगवाने की इजाजत मिल गई है. अब सभी वयस्क प्राइवेट सेंटर और अस्पतालों में जाकर भी बूस्टर डोज लगवा सकते हैं. हालांकि इसको लेकर भी एक विशेष गाइडलाइन जारी की गई है.
इस शर्त पर बूस्टर डोज
गाइडलाइन के मुताबिक बूस्टर डोज उसी कंपनी की लगाई जा सकेगी जिस वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगाई गई हो. वहीं जिन लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगे 9 महीने हो चुके हैं, वो ही इस तीसरी वैक्सीन के लिए पात्र होंगे. गौरतलब है कि सरकारी सेंटर्स पर पहली और दूसरी डोज के अलावा हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ऊपर के लोगों को प्रिकॉशन डोज पहले की तरह लगना जारी रहेगी.
सस्ती हो गई है वैक्सीन
एक तरफ जहां प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन लगाने की इजाजत दी गई है तो दूसरी वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत के बाद अपनी वैक्सीन के दाम कई गुना घटा दिए हैं. अब प्राइवेट अस्पतालों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों वैक्सीन 225 रुपये प्रति डोज की कीमत पर मिलेंगी. केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल वैक्सीन की एक डोज की कीमत के अलावा 150 रुपये तक ही सर्विस चार्ज ले सकेंगें. इस लिहाज से वैक्सीन की तीसरी डोज लगवाने वाले 18 से 59 साल के लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में अब तीसरी डोज के लिए ज्यादा से ज्यादा 375 रुपये ही देने होंगे.
क्या है यह वैक्सीन की बूस्टर डोज
वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक को ही प्रिकॉशन या बूस्टर डोज कहा जाता है. ये खुराक लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित होती है. कोरोना वायरस के अब तक कई वेरिएंट आ चुके हैं. फिलहाल XE वेरिएंट चर्चा में है. ऐसे में सरकार की ओर से सभी वयस्कों को प्रिकॉशन डोज लगाने की इजाजत दी गई है.
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गौरतलब है कि अभी तक प्राइवेट अस्पतालों में कोविशील्ड की एक डोज के लिए लोगों को 700 से 750 रुपये और कोवैक्सीन की एक डोज के लिए 1250 से 1300 रुपये तक देने पड़ते थे. आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में अब तक वैक्सीन की 185.68 करोड़ से ज्यादा डोज लग चुकी है. भारत में 15 साल से ऊपर के 96 फीसदी लोगों को कम से कम एक डोज लग चुकी है. वहीं करीब 2.5 करोड़ लोग प्रिकॉशन डोज भी लगवा चुके हैं. इसी तरह देश में 12 से 14 साल के 45 फीसदी बच्चों को पहली डोज लग चुकी है.
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