Telangana News: तेलंगाना में कांग्रेस सरकार की तरफ से रमजान के महीने में मुस्लिमों के विशेष छूट दिए जाने से सियासी हंगामा खड़ा हो गया है. मुख्यमंत्री रेवांत रेड्डी की सरकार ने मुस्लिम कर्मचारियों और टीचर्स को रमजान के दौरान ऑफिस और स्कूल से जल्दी घर जाने की छूट दी है. इसका आदेश 15 फरवरी को जारी किया गया था, जिसकी जानकारी मिलने के बाद प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताते हुए सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं. भाजपा ने मुख्यमंत्री रेवांत रेड्डी से सवाल पूछा है कि ऐसी छूट नवरात्र के त्योहार के दौरान हिंदुओं को क्यों नहीं दी जाती?
क्या छूट दी गई है मुस्लिमों को
तेलंगाना के मुख्य सचिव शांति कुमारी ने 15 फरवरी को एक आदेश दिया है. इस आदेश में कहा गया है कि राज्य के मुस्लिम समुदाय के सभी सरकारी कर्मचारी, टीचर, कॉन्ट्रेक्ट व आउट सोर्स कर्माचारी, बोर्ड, कॉरपोरेशन व पब्लिक सेक्टर के कर्मचारी रमजान महीने में जल्दी घर जा सकते हैं. ऐसे कर्मचारी या टीचर अपने ऑफिस या स्कूल को शाम 4 बजे छोड़ पाएंगे. यह आदेश 2 मार्च से 31 मार्च तक लागू रहेगा ताकि मुस्लिम कर्मचारी जरूरी प्रार्थना कर पाएंगे. हालांकि यह आदेश उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां इन कर्मचारियों या टीचर की उपस्थिति 4 बजे के बाद भी जरूरी होगी.
'हिंदुओं को क्यों नहीं मिलती ऐसी रियायत?'
भाजपा ने राज्य सरकार के इस कदम की आलोचना की है और इसे राज्य में मुस्लिम समुदाय के तुष्टिकरण की कोशिश बताया है. भआजपा नेता अमित मालवीय ने एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा,'तेलंगाना में कांग्रेस सरकार पर तुष्टिरण का कीड़ा चढ़ गया है, जिसने रमजान के दौरान मुस्लिम राज्य कर्मचारियों के लिए काम के घंटों में छूट को मंजूरी दे दी है. हिंदुओं को ऐसी छूट कभी नहीं दी जाती. यहां तक कि नवरात्रि के दौरान भी ऐसा नहीं किया जाता. यह दिखावा किसी एक समुदाय की धार्मिक मान्यताओं के प्रति संवेदनशील होने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें महज वोट बैंक तक सीमित करने के बारे में है. इसका विरोध किया जाना चाहिए.'
'समाज के एक वर्ग को ही प्राथमिकता दे रहे रेड्डी'
एक अन्य सीनियर भाजपा नेता पी. मुरलीधर राव ने भी इस कदम के लिए मुख्यमंत्री रेवांत रेड्डी की आलोचना की है और उन पर समाज के एक वर्ग को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा,'तेलंगाना में कांग्रेस सरकार एक बार खुलेआम तुष्टिकरण में जुट गई है. उसने रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों के लिए काम के घंटों में छूट को मंजूरी दे दी है, जबकि नवरात्रि के दौरान हिंदुओं और पर्यूषण के दौरान जैनियों को ऐसी रियायत कभी नहीं दी है. यह धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने के लिए नहीं है बल्कि यह वोट बैंक की पॉलीटिक्स है. यह किस तरह का सेकुलरिज्म है? एक समुदाय को खास सुविधाओं, जबकि अन्य की अनदेखी. सीएम रेवांत रेड्डी एक समुदाय को प्राथमिकता देने को लेकर अडिग हैं, जबकि तेलंगाना को शरिया स्टाइल के प्रशासन की तरफ धकेला जा रहा है. यदि कांग्रेस की सत्ता जारी रही तो यह पूर्वाग्रह और गहरा होगा.'
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तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी (फाइल फोटो)
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