डीएनए हिंदी : भारत के संविधान के आर्टिकल 14 के मुताबिक़ देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है. धर्म, जाति, क्षेत्र, लिंग या भाषा के आधार पर उनके साथ कोई विभेद नहीं किया जा सकता है, किंतु मध्य प्रदेश के 10 ज़िले देश के संविधान की इस ज़रुरी बात से बिलकुल इत्तेफाक नहीं रखते हैं. मध्य प्रदेश(Madhya Paradesh) के स्थानीय पीपल्स समाचार के मुताबिक़ राज्य के दस ज़िलों में दलित बच्चों को पानी पीने से भी वंचित किया जाता है. इन पानी न पी पाने वाले दलित बच्चों की संख्या एक अथवा दो नहीं, नब्बे फ़ीसदी से अधिक है.
हैण्डपम्प छूने की है मनाही
चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी और मध्य प्रदेश(Madhya Paradesh) दलित अभियान संघ द्वारा किए गए इस सर्वे के मुताबिक़ इन क्षेत्रों में लगभग 92 प्रतिशत दलित बच्चे अपनी जाति की वजह से पानी नहीं पी पाते हैं. उन्हें हैण्डपंप और पानी की टंकी छूने की मनाही है, जिस वजह से वे पानी नहीं पी पाते हैं. तक़रीबन 57 % बच्चों ने बताया कि वे पानी तब ही पी सकते हैं जब कोई ऊंची जाति का बच्चा उन्हें ऊपर से पानी पिलाए.
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क्लास में आगे नहीं बैठ सकते ये बच्चे
इस सर्वे में यह भी निकल कर आया कि 90% से अधिक बच्चों को क्लास में आगे नहीं बैठने दिया जाता है. लगभग 80% बच्चे बीच की पंक्ति में तो 13-14% बच्चे आखिरी पंक्ति में बैठते हैं. सर्वे ने इस ओर भी इंगित किया है कि गैर दलित शिक्षकों का व्यवहार उचित नहीं है. वे अक्सर इन बच्चों को जाति सूचक नामों से पुकारते हैं.
अन्य बच्चे भी करते हैं भेदभाव
44% दलित बच्चों के मुताबिक अन्य जातियों के बच्चे भी इन बच्चों से खराब व्यव्हार करते हैं. इन बच्चों को मिड मील के लिए भी अलग पंक्तियों में बिठाया जाता है.
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