डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाबालिगों द्वारा बढ़ रहे जघन्य अपराधों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत नाबालिग आरोपियों के साथ उन्हें  सुधारने के मकसद से जो रियायत बरती जा रही है, वह उन्हें  जघन्य अपराधों को अंजाम देने के लिए हौसला दे रही है. जिस तरह से जघन्य, बर्बर वारदातों में नाबालिगों की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है, ये बेहद चिंता का विषय है. सरकार को इस पर पुर्नविचार करना चाहिए कि क्या वाकई जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 अपने मकसद में सफल हो पाया है, या इस दिशा में कुछ और करने की ज़रूरत है.

जघन्य वारदातों में नाबालिगों की बढ़ती भागीदारी
जस्टिस अजय रस्तौगी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि अभी तक यह अवधारणा रही है कि अगर कोई नाबालिग किसी अपराध को अंजाम देता है, फिर चाहे वो रेप,गैंगरेप, ड्रग्स  और  मर्डर जैसे जघन्य अपराध भी क्यों न हो, उसको सुधारना ही एकमात्र मकसद होना चाहिए. ये अपने आप में आदर्श स्थिति है लेकिन जिस तरह से जघन्य, बर्बर अंदाज़ में नाबालिग वारदातों को अंजाम दे रहे है, उससे ये सवाल उठता है कि क्या जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 वाकई अपने मकसद में सफल हो रहा है.

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SC के सामने क्या था मामला? 
कोर्ट ने ये टिप्पणी कठुआ में बच्ची के साथ गैगरेप हत्या केएम  आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने को दिए अपने फैसले में की है. उच्चतम न्यायालय ने आरोपी शुभम सांगरा  को नाबालिग ठहरा कर उसके खिलाफ मामले को  जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को भेजने वाले निचली अदालत और हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है.

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डॉक्टरों की राय को माना जाए सही तरीका
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उम्र तय करने के लिए कोई दूसरा पुख्ता सबूत न होने पर डॉक्टरों की राय को ही सही तरीका माना जायेगा. लिहाजा हम निचली अदालत के आदेश  खारिज कर रहे हैं. आरोपी को अपराध के वक्त बालिग मानकर ही मुकदमा चलेगा.

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Supreme Court strict Kathua gangrape case Concession being given to minors is encouraging for heinous crimes
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गैंगरेप मामलों पर SC सख्त, नाबालिगों को मिल रही रियायतें बढ़ा रही अपराध
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 'नाबालिगों को मिल रही रियायतें बढ़ा रही अपराधियों का हौसला', गैंगरेप मामलों पर SC सख्त