डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को दहेज मृत्यु (Dowry Death) से जुड़े एक मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मकान बनाने के लिए पैसे की मांग करना 'दहेज की मांग' है. यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304बी के तहत अपराध है. कोर्ट ने इस केस में आरोपी शख्स और उसके पिता के जुर्म (conviction) और सजा को बहाल कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि दहेज की मांग की सामाजिक बुराई से निपटने के लिए आईपीसी में धारा 304-बी का प्रावधान किया गया था. यह खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था.जजों की बेंच ने कहा, 'दहेज अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक दहेज की परिभाषा किसी भी प्रकार की संपत्ति या मूल्यवान वस्तु की मांग है. हमारी राय में, हाई कोर्ट के फैसले में एक चूक हुई है कि मकान बनाने के लिए मांगे गए पैसे को दहेज की मांग नहीं माना जा सकता.'
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क्या था मामला?
मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दहेज हत्या से जुड़े एक मामले की अपील दायर की थी. एक महिला ने अपने ससुराल में आत्महत्या कर लिया था. उसके पति और ससुर की आईपीसी की धारा 304-बी और धारा 306 के तहत दोषसिद्धि और सजा के फैसले को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस केस में दहेज की परिभाषा ठीक तरह से समझी थी. घर बनाने के लिए भी लड़की के घरवालों से पैसे की मांग करना दहेज ही है. पीड़िता पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वह अपने घरवालों से पैसे की मांग करे. पीड़िता पर अपनी मां और चाचा से पैसे लेने का दबाव बनाया गया.
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बहू के मायके से घर बनाने के लिए भी पैसे की डिमांड है दहेज, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा?