Noida News: उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा समेत चार राज्यों में सुपरटेक बिल्डर्स के 16 अधूरे प्रोजेक्ट्स में फ्लैट खरीदने वाले 49,000 लोगों को करारा झटका लगा है. इनमें नोएडा के भी 20,000 फ्लैट शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (NBCC) को सौंपने के आदेश पर रोक लगा दी है. यह आदेश नेशनल कंपनी लॉ अपीलैट ट्रिब्यूनल (National Company Law Appellate Tribunal) ने दिया था ताकि इन प्रोजेक्ट्स में फ्लैट खरीदने वाले लोगों को उनका आशियाना मिल सके. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर्स (Supertech) की अपील पर NCLAT के इस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है. इससे इन प्रोजेक्ट्स का निर्माण पूरा होने की फिलहाल संभावना टल गई है.
किन प्रोजेक्ट्स पर होगा आदेश का असर
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और कर्नाटक में सुपरटेक बिल्डर्स के करीब 16 प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हैं. इन प्रोजेक्ट्स में अपकंट्री, इको विलेज-1, मेरठ स्पोर्ट्स सिटी, ग्रीन विलेज, हिलटाउन, अरावली, रिवर फ्रंट, इको विलेज, केपटाउन परियोजना, इको विलेज-3, स्पोर्ट्स विलेज, इको सिटी, नार्थ आई आदि शामिल हैं. इनमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इलाके के ज्यादातर प्रोजेक्ट्स हैं. इन प्रोजेक्ट्स में कुल 49,748 फ्लैट हैं.
NCLAT ने क्या आदेश दिया था
NCLAT ने 12 दिसंबर, 2024 को इन 16 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की जिम्मेदारी सुपरटेक से छीनकर NBCC को सौंप दी थी. NBCC को 12 से 36 महीने के अंदर पूरा करना था, जिसके लिए उसे 9,945 करोड़ रुपये खर्च करने थे. NBCC को मई 2025 में काम शुरू करना था.
सुपरटेक के किस दावे ने लगवाया है स्टे
सुपरटेक बिल्डर्स ने सुप्रीम कोर्ट में NCLAT के निर्णय को चुनौती दी थी. सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि NBCC को काम पूरा करने के लिए 36 महीने का समय दिया गया है, जबकि वह 12 से 24 महीने में नोएडा के 20,000 फ्लैट खरीदारों को घर सौंप सकता है. कंपनी ने इसका प्रस्ताव तैयार होने का भी दावा किया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के आदेश पर रोक लगा दी है.
सुपरटेक समेत सभी दावेदारों से मांगे प्रस्ताव
सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए डेवलपर का चयन नए सिरे से करने का निर्णय लिया है. इसके लिए सुपरटेक समेत सभी दावेदार कंपनियों से प्रस्ताव मांगे गए हैं. ये प्रस्ताव मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट इनकी जांच कराएगा. इसके बाद डेवलपर का नाम सुप्रीम कोर्ट तय करेगा. इस सारी प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है, जिससे फ्लैट खरीदारों का अपने आशियाने का इंतजार और लंबा खिंच सकता है.
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सुपरटेक के 49,000 फ्लैट खरीदारों के अरमानों पर 'सुप्रीम' स्टे, अब क्या होगा उनका भविष्य?