डीएनए हिंदी: IAS डोंगरे रेवैया काफी ट्रेंड में हैं, उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पासकर के सफलता हासिल की थी. उनका बचपन काफी मुश्कलों से भरा था. रेवैया पढ़ाई में तेज थे लेकिन उनके घर में आर्थिक तंगी थी. उनकी मां मिड-डे मील का खाना बनाती थीं. दो और भाई-बहनों के साथ उन्होंने अकेले ही डोंगरे को पाला-पोसा और इस लायक बनाया कि वो आईएएस बन सकें. आईआईटी मद्रास में पढ़ने के बाद डोंगरे ने गेट क्लीयर किया था, उन्हें सरकारी कंपनी में नौकरी भी मिल गई थी लेकिन वह केवल आईएएस ही बनना चाहती थे और उन्होंने इस ख्वाहिश को पूरा भी कर लिया था.
डोंगरे रेवैया तेलंगाना में कुमुराम भीम आसिफाबाद के रहने वाले हैं. एक दिन उनके यहां के जिला कलेक्टर ग्रामीणों की दलीलों को समझने गांव पहुंचे थे. भीड़ के बीच से एक किशोर दो दस्तावेजों के साथ बाहर आया. उस किशोर के एक हाथ में राज्य विश्वविद्यालय का लेटर था. दूसरे में आईआईटी मद्रास का ऑफर लेटर था. यह कोई और नहीं डोंगरे रेवैया ही थे.
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गरीबी में बीता था बचपन
बता दें कि आईआईटी जेईई में सफलता मिलने के बावजूद डोंगरे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे. उन्होंने एडमिशन की उम्मीद लगभग खो दी थी, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर डॉ. अशोक कुमार ने उनकी बहुत मदद की, तभी उन्हें इस बात का भी एहसास हुआ कि अगर वह उस पद पर पहुंचे तो गरीब पृष्ठभूमि के लोगों की मदद कर पाएंगे. यूपीएससी सीएसई 2022 की परीक्षा में डोंगरे ने 961 अंक हासिल कर 410वीं रैंक हासिल की और सफलता के झंडे गाड़ दिए.
गौरतलब है कि जब डोंगरे चार साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था. गुजारा चलाने के लिए उनकी मां ने 1,500 रुपये के मासिक वेतन पर मिड-डे मील कुक के रूप में काम करना शुरू कर दिया था. डोंगरे ने उन्हें संघर्ष करते देखा था. बता दें कि डोंगरे का जन्म तेलंगाना के तुंगडा गांव में हुआ, सरकारी स्कूल में वह पढ़े-लिखे.
सरकारी नौकरी के बावजूद जारी था UPSC के लिए किया संघर्ष
साल 2017 में आईआईटी मद्रास से केमिकल इंजीनियरिंग में इंटीग्रेटेड कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने 70वीं रैंक के साथ GATE भी क्लीयर किया. इससे उन्हें मुंबई में ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ONGC) नौकरी मिल गई थी.
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साल 2020 में उन्होंने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी. 2021 में उन्होंने अपना पहला अटेम्प्ट दिया था, लेकिन इसमें वह दो अंकों से चूक गए. अगले अटेम्प्ट पर फोकस करने के लिए डोंगरे ने नौकरी छोड़ दी. इस साल उनकी 410वीं रैंक आई. उनकी मां के लिए इससे बड़ी खुशी कुछ नहीं थी.
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Mid Day Meal में खाना बनाकर घर चलाती थी मां, बेटे ने IAS बनकर गाड़े सफलता के झंडे