डीएनए हिंदी: भारतीय अधिकारियों को इटली के (Italy) मिलान शहर से भगवान गौतम बुद्ध (Lord Buddha) की एक प्रतिमा मिली है जो कि दो दशक पहले देश के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में शामिल बिहार के देवीस्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी कर ली गई थी. जानकारी के मुताबिक लगभग 1,200 साल पुरानी इस पत्थर की मूर्ति को भारत के महावाणिज्य दूतावास को इटली के ही एक कलेक्टर ने स्वेच्छा से यह मूर्ति वापस कर दी है.
बेहद प्रचीन है यह मूर्ति
यह प्रतिमा 8वीं-12वीं सदी के बीच की बताई जा रही है, जो सन 2000 में बिहार के नालंदा जिले में स्थित देवीस्थान कुंडलपुर मंदिर से चोरी कर ली गई थी. अवलोकितेश्वर पद्मपाणि मुद्रा वाली इस प्रतिमा में भगवान बुद्ध अपने बाएं हाथ में कमल पुष्प लिए खड़े हैं. जानकारी के मुताबिक मूर्ति चोरों ने पहले बुद्ध की प्रतिमा को फ्रांस में बेचा और थोड़े समय फ्रांस की कला दीर्घा में रहने के बाद यह बुद्ध प्रतिमा फ्रांस से इटली पहुंची और अब सिंगापुर इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के प्रयासों से यह स्वदेश वापस आएगी.
चोरी की गई थी मूर्ति
भारतीय वाणिज्य दूतावास ने कहा, “यह मूर्ति देवीस्थान कुंडुलपुर मंदिर में लगभग 1200 वर्षों तक सुरक्षित रही, जब तक कि इसे सन 2000 की शुरुआत में अवैध रूप से चोरी कर भारत से बाहर तस्करी करके लाया गया था.”
वहीं इस मूर्ति को लेकर इटली में भारत के वाणिज्य दूतावास ने कहा, ”बौद्ध धर्म में अवलोकितेश्वर बोधिसत्व है जो सभी बुद्धों की करुणा का प्रतीक है. दूतावास द्वारा जारी बयान में कहा गया, “यह पता चला है कि उक्त मूर्ति मिलान इटली में होने से पहले फ्रांस में कला बाजार में कुछ समय के लिए सामने आई थी. इंडिया प्राइड प्रोजेक्ट, सिंगापुर और आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल, लंदन ने चोरी की इस मूर्ति की पहचान और वापसी में तेजी से सहायता की.”
ऐतिहासिक धरोहरों की वतन वापसी
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में अमेरिका के दौरे से वापस आए तो वो अपने साथ 157 अहम कलाकृतियों को वापस लाए थे. इसके बाद अन्नपूर्णा देवी की भी चोरी की गई प्रतिमा भी वापस भारत लाइ गई थी.
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इस मामले में संस्कृति मंत्रालय के मुताबिक 1976 से 55 प्रतिमाओं को भारत को लौटाया गया उनमें से करीब 75 फीसद 2014-2021 के दौरान प्राप्त की गई थीं. इसमें से 2014 के बाद 42 प्रतिमाओं को वापस देश में लाया गया है और विदेशी कानूनों में लगातार हो रहे बदलावों के चलते इन चोरी हुईं भारतीय धरोहरों को वापस लाने में विशेष मदद मिल रही है.
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