डीएनए हिंदी: 2 साल के लंबे अंतराल के बाद कश्मीर के स्कूल ऑफलाइन शिक्षा के लिए खुल गए हैं. बुधवार को मुस्कुराते हुए बच्चों और माता-पिता ने दिन की शुरुआत खुशी के साथ की. माता-पिता, बच्चों और शिक्षकों के बीच राहत का माहौल था.
खिल उठे बच्चों के चेहरे
घाटी में सभी सरकारी और निजी स्कूल खुल गए हैं. बच्चे अपने स्कूलों के खुलने से इतना खुश है, मानो कोई उत्सव हो. सर्द सुबह के बावजूद कश्मीर में हर तरफ मुस्कान और हंसी थी. अलग-अलग रंग की यूनिफॉर्म पहने कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) का पालन करते हुए विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने कश्मीर की सर्द सुबह को मनमोहक बना दिया. हालांकि छात्रों के लिए पहले कुछ हफ्तों तक यूनिफॉर्म पहनना जरूरी नहीं है. जिन छात्रों की स्कूल ड्रैस तैयार नहीं है, वे कछ समय के लिए कैजुअल ड्रेस में आ सकते हैं.
'स्कूल खुलने की खुशी है'
इधर स्कूल जाते वक्त 5वीं कक्षा की एक छात्रा जरिया फयाज ने कहा, 'स्कूल के वापस खुलने से हम बहुत खुश हैं. हम इतने समय के बाद अपने दोस्तों से मिले ऑफलाइन पढ़ाई की, हम अपनी खुशी बता नहीं सकते.'
वहीं एक और छात्र ऊफेज ने कहा, 'मुझे स्कूल खोलने की बेहद खुशी है लेकिन अब बस ये फिर से बंद नहीं होने चाहिए.'
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कोविड नियमों का करना होगा पालन
घाटी में डिजास्टर मैनेजमेंट के आदेशों के अनुसार, स्कूल जाते वक्त छात्रों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य है, थर्मल स्कैनर से बच्चों के शरीर का तापमान जांचने के बाद ही उन्हें स्कूलों में एंट्री मिलेगी. सभी स्कूलों के गेट पर सैनिटाइजर की व्यवस्था कर दी गई है. इसके अलावा बच्चों, शिक्षकों और स्कूल के अन्य कर्मचारियों के कोविड लक्षणों की जांच के लिए हर स्कूल में स्वास्थ्य दल भी सक्रिय हैं. इन सब के साथ यूनिवर्सिटी, हाई स्कूल विद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ने आने वाले सभी छात्रों को अपने साथ टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना आवश्यक होगा.
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लंबे अंतराल के बाद खुले घाटी के स्कूल
गौरतलब है कि कोविड के दौरान दुनिया के किसी भी हिस्से से ज्यादा जम्मू-कश्मीर में स्कूल बंद रहे हैं. कोविड महामारी ने 2020 में मार्च के मध्य में शिक्षा संस्थानों को बंद करने के लिए मजबूर किया, इससे पहले 5 अगस्त 2019 को कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद सुरक्षा कारों के चलते स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों को बांध कर दिया गया था.
कश्मीर में शिक्षा संस्थानों के लंबे समय तक बंद रहने से छात्रों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में शिक्षा संस्थानों के प्रमुख और अध्यापकों के ऊपर छात्रों को वापस पटरी पर लाने की बड़ी जिम्मेदारी है.
(इनपुट- खालिद हुसैन)
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Kashmir में 2 साल बाद खुले स्कूल, खिल उठे बच्चों के चेहरे