डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia-Ukraine War) छिड़ गया है और इस युद्ध का असर ग्लोबल इकॉनमी (Global Economy) के साथ भारत की इकॉनमी पर भी पड़ना तय है. एक्सपर्ट का मानना है कि भारत पर दो तरह से असर पड़ेगा. इस हमले से क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी. इससे भारत में पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें बढ़ेंगी.
बढ़ सकती है महंगाई
जानकारों का मानना है कि इस युद्ध से भारत में खुदरा महंगाई दर में इजाफा होगा. सब्जियां, दालें और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हो सकता है दूसरा असर यह होगा कि महंगाई को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ा सकता है. अगर सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी लाने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कमी नहीं करती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इस साल ब्याज दरों में एक से ज्यादा बार बढ़ोतरी कर सकता है.
इसके साथ ही जानकारों का मानना है कि देश में होम लोन की दरें भी बढ़ सकती है जिससे आम आदमी के लिए नई मुसीबतें खड़ी होंगी. कोविड के बाद इस युद्ध को आम जनता के लिए एक बड़े आर्थिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
आग उगलेंगे पेट्रोल-डीजल
रूस और यूक्रेन के बीच इस युद्ध के चलते कच्चे तेल के दाम 8 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में में कच्चे तेल का दाम 103 डॉलर प्रति बैरल पार कर गया है. इससे पहले 2014 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर पार गए थे. नैचुरल गैस की कीमत भी अब बढ़ने लगी हैं. इसके चलते आने वाले दिनों में एलपीजी और सीएनजी के दाम बढ़ सकते हैं.
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वहीं सूत्रों का कहना है देश में चल रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पेट्रोल डीजल की घटी हुई कीमतों की बड़ी वजह हैं. ऐसे में 5 राज्यों के चुनाव के बाद आम आदमी को महंगाई के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है और सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती है. इसका सबसे बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध ही माना जा रहा है.
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