डीएनए हिंदी: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच छिड़ी जंग अभी भी जारी है. यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए भारत सरकार का ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) अभियान लगातार तेज किया जा रहा है लेकिन अभी भी कुछ भारतीय छात्र युक्रेन की राजधानी कीव और सबसे बड़े शहर खारकीव में फंसे हुए हैं. सभी भारतीय अपने देश लौटने के लिए बेताब हैं. 27 फरवरी को कीव छोड़कर आ रहे हरजोत सिंह नाम के भारतीय छात्र को गोली लग गई थी जिसके बाद उन्हें वापस कीव ले जाया गया. फिलहाल वह यहां के कीव क्लीनिकल अस्पताल में भर्ती हैं. हरजोत भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से हुई बातचीत में हरजोत सिंह ने बताया, '27 फरवरी के दिन कीव से बाहर निकलने के लिए में रेलवे स्टेशन गया. यहां मैंने बहुत कोशिश की लेकिन बोर्डिंग नहीं हो पाई. इसके बाद मैंने प्राइवेट कैब बुक करने के बारे में सोचा. उस वक्त कैब का किराया बहुत ज्यादा था काफी कोशिश करने के बाद 1,000 डॉलर पर बात तय हुई. मेरे साथ मेरे दो और दोस्त मौजूद थे. हम दो चेकपोस्ट पार कर चुके थे लेकिन जैसे ही हम तीसरे चेकपोस्ट पर पहुंचे, हमें वहां से वापस भेज दिया गया. बताया गया कि आज बाहर निकलना सही नहीं रहेगा. बेहतर होगा कि हम कल यहां से निकले. इसके बाद हम वहां से वापस हो गए.'
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'मैं बहुत डर गया था'
हरजोत ने आगे बताया, 'कीव सिटी में प्रवेश करते ही शीशे को चीरती हुई एक गोली टैक्सी को पार कर गई. मैं बहुत डर गया था. इसके बाद हम छुपते-छुपाते गाड़ी से नीचे उतर गए. चारों और गोलियों का शौर था. हर तरफ से लगातार फायरिंग हो रही थी. हम जमीन पर लेटकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे. इस बीच मेरे घुटने में 2 गोलियां लगी, एक गोली मेरे दूसरे पैर को चीरते हुए बाहर निकल गई और एक साइड से छूटे हुए मेरे सीने में चली गई. इसके बाद मैं बेहोश हो गया था.'
'तीन-चार घंटे तक यूं ही सड़क पर पड़ा रहा'
उन्होंने कहा, 'दो तारीख की रात मैं होश में आया. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था, डॉक्टर्स ने मुझे घटना के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि कैसे मुझे गोली लगी और मैं यहां तक पहुंचा. उन्होंने कहा कि मैं करीब तीन-चार घंटे तक सड़क पर पड़ा हुआ था, मेरा काफी खून बह चुका था. मेरे शरीर से गोलियां निकाल दी गई हैं लेकिन अभी भी काफी दर्द महसूस कर रहा हूं.'
'मैं अपने देश वापस लौटना चाहता हूं'
हरजोत ने बताया, 'मैं दिल्ली के छतरपुर एक्सटेंशन का रहने वाला हूं. होश में आते ही सबसे पहले मैंने अपनी मां को फोन किया. हरजोत कहते हैं कि यह मेरी नई जिंदगी है और मैं इसे खोना नहीं चाहता हूं. मैं अपने देश वापस लौटना चाहता हूं. अपनी फैमिली से मिलना चाहता हूं. इंडियन एंबेसी के लगभग हर व्यक्ति से बात कर चुका हूं. उन्होंने सिर्फ दिलासा दिया है. अभी तक मुझे कोई मदद नहीं मिली है.'
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'मुझे यहां से ले जाएं'
वे कहते हैं कि 'मेरे पैर में फैक्चर है. मैं चल नहीं सकता हूं. मेरा एंबेसी से बस यही अनुरोध है कि व्हीलचेयर या किसी तरह मुझे यहां से ले जाएं. मैं चल नहीं सकता. अगर पैर पर फैक्चर नहीं होता तो खुद चलकर बॉर्डर तक चला जाता. प्लीज मेरी मदद करें, मैं जीना चाहता हूं.'
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Russia-Ukraine War: मैं जीना चाहता हूं...कीव के हॉस्पिटल में 4 दिन से भर्ती हरजोत सिंह की सरकार से गुहार, कहा- प्लीज मुझे यहां से ले जाएं