डीएनए हिंदी: रूस और यूकेन (Russia-Ukraine War) के चलते भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे भी करके यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को वापस निकाला जाए. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के जालौन के चार छात्र भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. जालौन के पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य रामकुमार गुप्ता के बेटे भी शामिल हैं. सभी ने गुहार ने लगाकर सरकार से मांग की है कि जल्द ही यूक्रेन से सभी छात्रों को जल्द लाया जा सके.
बंकरों में फंसे भारतीय छात्र
दरअसल, जालौन शहर के जालौन पब्लिक एकेडमी संचालक शैलेंद्र श्रीवास्तव की बेटी आकृति चित्रांश यूक्रेन के कीव शहर में स्थित बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी एमबीबीएस में तृतीय वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने बताया है कि सुबह लगभग 4 बजे बेटी का फोन आया की उसने 3 बार धमाकों की आवाज सुनी है. तभी से वह बेटी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने बताया कि बीती 29 जनवरी को यूक्रेन गईं थीं.
आकृति के परिजनों ने बताया है कि वो वीडियो कॉल के जरिए बताया है कि आकृति वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में हैं लेकिन यूक्रेन की स्थिति बेहद भयावह है जिसके चलते वहां की सरकार ने लोगों को बंकरों में सुरक्षित रहने के निर्देश दिए हैं. आकृति के परिजनों ने बताया है कि वो इस समय मेट्रो स्टेशन के बेसमेंट के सुरक्षित स्थानों में हैं.
कुछ ऐसी ही मांग पूर्व जिला पंचायत सदस्य रामकुमार गुप्ता की भी है जिनका बड़ा बेटा विकास गुप्ता भी यूक्रेन के करबीव में नेशनल यूनिवर्सिटी का एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है. बेटे को लेकर चिंतित पिता रामकुमार गुप्ता बताते हैं उन्हें पता होता कि दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ जाएगा तो वह बेटे को पहले ही वापस बुला लेते. उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार इस मामले को लेकर कुछ करेगी और वहां फंसे छात्रों को सकुशल बाहर निकालेगी.
जालौन के राघवेंद्र सिंह यादव की बहन छाया यादव यूक्रेन के विनीस्थीया में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. उनके भाई बताते हैं कि बेटी की इच्छा डाॅक्टर बनने की थी तो उन्होंने उसकी इच्छा को पूरा करते हुए अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए यूक्रेन भेज दिया. अब जब हालात खराब हैं और रूस ने युद्ध छेड़ दिया है तो उन्हें बेटी की चिंता सता रही है.
रूस में फंसे लोगों की भी है चिंता
वहीं जालौन के एमएलबी इंटर काॅलेज के संचालक भूपेश बाथम के बेटे आशीष बाथम भी मेडिकल की पढ़ाई के लिए रुस के कीनिया स्थित सिम्फेरोपूल में एमबीबीएस के लिए तीन वर्ष पहले गए थे. घर वालों ने बताया है कि पिछले वर्ष वह छुट्टियों में घर आए थे और मई माह में पुनः काॅलेज चला गया. रूस इस युद्ध में हमलावर है ऐसे में अब ज्यादा चिंता की बात नहीं है लेकिन घर वाले चाहते हैं कि वो जल्द ही वापस आ जाएं.
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आपकों बता दें कि यूक्रेन में फंसे छात्रों को लेकर उनके परिवार वालों में चिंता बढ़ती जा रही है. केवल जालौन ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों कानपुर, आगरा, फर्रुखाबाद, हरदोई, जालौन, जमशेदपुर समेत कई जिलों के सैकड़ों छात्र-छात्राएं यूक्रेन और रूस की जंग में फंसकर रह गए और उनके परिजन जल्द से जल्द उन्हें वापस लाने की मांग सरकार से कर रहे हैं.
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